बिहार में एनडीए में शामिल बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी जदयू गठबंधन छोड़ने का फैसला कर चुकी है। मुख्यमंत्री की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के नेताओं ने भाजपा पर उनके खिलाफ काम करके पार्टी को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली। बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में एक बार फिर नया समीकरण सामने आ चुका है। बीजेपी (BJP) से नाता तोड़कर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अब अपने पुराने साथी लालू प्रसाद यादव की पार्टी के साथ गठजोड़ करने जा रहे हैं। जेपी आंदोलन के साथी लालू प्रसाद यादव का परिवार व नीतीश कुमार एक बार फिर एक साथ होंगे। करीब पांच साल एक महीना पहले ही दोनों दलों का अलगाव हुआ था और नीतीश पुराने गठबंधन सहयोगी बीजेपी के साथ चले गए थे। लेकिन इन पांच सालों के भीतर फिर ऐसा क्या हो गया कि नीतीश और राजद एक साथ आने जा रहे हैं। दरअसल, दोनों दल दूरियों को मिटाने के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़े हैं, शायद बीजेपी को भी इसकी भनक थी। लेकिन बीजेपी कुछ निर्णय ले पाती इसके पहले बिहार में खेला हो गया।
2015 से 2017 तक, नीतीश कुमार का जनता दल यू, लालू यादव की राजद और कांग्रेस, सरकार के तीन घटक थे। लेकिन जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने इस गठबंधन को छोड़ दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार भाजपा के साथ फिर से जुड़ गए। यह बीजेपी के लिए फायदेमंद तो साबित हुआ लेकिन राजद के लिए यह बड़ा झटका था। हालांकि, राजद ने इसे साजिश करार देते हुए जनता के बीच जाने का फैसला किया।
बीते विधानसभा चुनाव के बाद दोनों दल एक दूसरे पर तीखा हमला बोलने से कतराते रहे। मुद्दों पर एक दूसरे को घेरा। मई में, नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव द्वारा अपने घर पर आयोजित एक इफ्तार पार्टी में पहुंचकर रिश्तों को फिर जोड़ने के लिए थोड़ी दूरी तय की। 72 साल की उम्र के मुख्यमंत्री के लिए न केवल समारोह में शामिल होना, बल्कि वहां काफी देर तक घर के सदस्य की तरह रहना, राजनीतिक पंडितों को कई प्रकार के विश्लेषण का मौका दे गया। उधर, बीजेपी को भी नीतीश ने एक स्पष्ट संकेत दे दिया। इसी तरह, जब तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए, तो मुख्यमंत्री ने सम्मान के संकेत के रूप में, 32 वर्षीय को उनके गेट तक पहुंचाया।
जब तेजस्वी के पिता लालू यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक नया मामला दर्ज किया गया, तो न तो मुख्यमंत्री और न ही उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने इस मामले पर कोई टिप्पणी जारी की। उनकी चुप्पी को 74 वर्षीय लालू यादव के खिलाफ केंद्र की कार्रवाई की अस्वीकृति के रूप में देखा गया, जो भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में जमानत मिलने के बाद अस्पताल में हैं।
जून में समाप्त हुए सबसे हालिया विधानसभा सत्र के दौरान, तेजस्वी यादव और उनके विधायकों (उनकी सबसे बड़ी पार्टी) ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करने से इनकार कर दिया।
जब लालू यादव को गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं हुईं और जुलाई में उन्हें दिल्ली ले जाना पड़ा, तो नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत रूप से उनकी यात्रा सहित सभी व्यवस्थाओं की निगरानी की।
पिछले रविवार को, जब तेजस्वी यादव की पार्टी ने मूल्य वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, तो यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक व्यवस्था की गई थी कि आंदोलन पर्याप्त सुरक्षा के साथ महत्वपूर्ण सड़कों को कवर करे। यह विरोध प्रदर्शन एक तरह से नीतीश कुमार के समर्थन का भी संकेत दे रहा था।
जब केंद्र ने कहा कि जाति जनगणना नहीं हो सकती है, तो नीतीश कुमार ने मई में सभी दलों की बैठक बुलाई और घोषणा की कि बिहार में जातियों की गिनती होगी। इसके सबसे बड़े पैरोकार तेजस्वी यादव थे।
बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।