जिस बिहार के युवा लगा रहे आग, वहीं के एक गांव का हर चौथा बच्चा सेना में दे रहा सेवाएं, क्या जानते हैं आप?

सेना की अग्निपथ योजना के विरोध में लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं। बिहार से शुरू हुई हिंसा धीरे-धीरे और भी कई राज्यों में फैलती जा रही है। बता दें कि जिस बिहार में इस योजना को लेकर सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है, उसी के एक गांव से हर चौथा युवा इंडियन आर्मी में सेवाएं दे रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 16, 2022 9:35 AM IST / Updated: Jun 16 2022, 03:07 PM IST

Agnipath Scheme Protest: सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं। बिहार से शुरू हुई हिंसा अब धीरे-धीरे और भी कई राज्यों में फैलती जा रही है। बिहार के छपरा में भीड़ ने 3 ट्रेनों में आग लगा दी। इसके अलावा जहानाबाद, बक्सर और नवादा जिलों में भी ट्रेन रोक कर पथराव किया गया। दरअसल, युवा सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के खिलाफ हैं और इसको लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बता दें कि एक तरफ बिहार के युवा जहां सरकारी संपत्ति को आग लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यहीं के एक गांव से हर चौथा बच्चा सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है।

मुंगेर के पास इस गांव के ज्यादातर बच्चे आर्मी में : 
बिहार में मुंगेर से करीब 13 किलोमीटर की दूर पर एक गांव है। इस गांव का नाम शिवकुंड कुर्मी टोला है। इस गांव से हर चौथा-पांचवां बच्चा सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। आर्मी की नौकरी करना इस गांव के युवकों की पहली पसंद है। देश में कहीं भी सेना की भर्ती होती है तो इस गांव के युवा उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इनमें से हर चौथे बच्चे का सिलेक्शन भी होता है। 

'सैनिक गांव' के नाम से मशहूर है शिवकुंड कुर्मी : 
इस गांव से बड़ी संख्या में बच्चे सेना में भर्ती होते हैं, जिसके चलते यह गांव न सिर्फ मुंगेर बल्कि पूरे बिहार में मशहूर है। इस गांव को अब 'सैनिक गांव' के नाम से भी जाना जाता है। अब तक यहां के करीब 50 युवा सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर चुके हैं। 

रिटायर होने के बाद बढ़ाते हैं दूसरे बच्चों का हौसला : 
इस गांव की आबादी करीब 2 हजार है। यहां के युवा सेना से रिटायर होने के बाद अपने ही गांव के दूसरे बच्चों का हौसला बढ़ाते हैं। सेना के अलावा इस गांव के बच्चे सीआरपीएफ और पुलिस में भी हैं। कई घर तो ऐसे भी हैं, जहां से एक नहीं बल्कि कई लोग आर्मी में काम कर चुके हैं। 

गाजीपुर के गहमर गांव ने भी दिए कई जवान : 
इसी तरह उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिल में स्थित गहमर गांव के कई लोग सेना में काम कर चुके हैं। कहा जाता है कि इस गांव में ऐसा कोई घर नहीं है, जिसका बच्चा सेना में न गया हो। यहां का बच्चा जब तक सेना में भर्ती नहीं हो जाता, तब तक उसकी शादी भी नहीं की जाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गांव के हजारों बच्चे आर्मी में काम कर चुके हैं। 

क्या है सरकार की अग्निपथ योजना : 
आर्मी की तीनों विंग थलसेना, नौसेना और वायुसेना में नए युवकों की भर्ती के लिए सरकार ने हाल ही में एक योजना लॉन्च की, जिसका नाम अग्निपथ योजना है। इसके तहत भर्ती किए जाने वाले सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा। इस योजना में सिर्फ 4 साल के लिए युवकों की भर्ती की जाएगी। इन सैनिकों को 30-40 हजार रुपए प्रति महीना वेतन के अलावा और भी कई तरह के भत्ते दिए जाएंगे। 4 साल के बाद सेवानिधि के रूप में 11.7 लाख रुपए मिलेंगे। अगर कोई बलिदान होता है तो उसके परिवार को 1 करोड़ रुपए और बाकी बची नौकरी का वेतन भी दिया जाएगा।  

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