बाढ़ ने बिहार में जनधन हानि के अलावा राजनीतिक नुकसान भी कराया है। बाढ़ में जदयू और भाजपा की दोस्ती भी बह गई। मंगलवार को पटना में दशहरे के दौरान किसी भी भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संग मंच साझा नहीं किया।
पटना। रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जला कर यहां गांधी मैदान में पूरे उत्साह के साथ दशहरा मनाया गया। लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ किसी भाजपा नेता के मंच पर मौजूद नहीं होने से राज्य में राजग में दरार पड़ने की अटकलें फिर से लगाई जाने लगी हैं। बाढ़ ने बिहार में जनधन हानि के अलावा राजनीतिक नुकसान भी कराया है। बाढ़ में जदयू और भाजपा की दोस्ती भी बह गई। ऐतिहासिक गांधी मैदान में वर्षों से ‘रावण वध’ किया जा रहा है, लेकिन इस बार यहां भीड़ अपेक्षाकृत कम रही। संभवत: भारी बारिश के कारण मची तबाही इसका कारण रही। मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा इस दौरान मंच पर मौजूद थे। इस दौरान सभी की निगाहें मंच पर खाली सीटों पर रहीं। ऐसा माना जा रहा है कि इन सीटों पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, पाटलीपुत्र से सांसद राम कृपाल यादव और राज्य में मंत्री नंद किशोर यादव को बैठना था।
उल्लेखनीय है कि बिहार में बाढ़ से निपटने के राज्य सरकार के तरीके को लेकर भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच पिछले एक सप्ताह से मनमुटाव चल रहा है। भाजपा नेताओं की गैरमौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि समारोह में भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति को राजग सहयोगियों के बीच फूट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।