यहां 22 दिन से फंसे हैं बाराती, घर नहीं स्कूल में रह रही दुल्हन; दूल्हे का हाल भी जान लीजिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र के नाम दिए अपने संबोधन में लॉकडाउन को तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया है। ऐसे में बीते 22 दिनों से छपरा में फंसे बंगाल के 36 बारातियों की मुश्किलें और बढ़ गई है। 
 
छपरा। कोरोना से बचाव के लिए जारी 21 दिनों के लॉकडाउन की मियाद आज समाप्त हो रही थी। लेकिन अब इसे 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लॉकडाउन के कारण शादी-विवाह तक आगे बढ़ाए जा रहे हैं। इसी बीच बिहार के छपरा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें बीते 22 दिनों से बाराती एक गांव में फंसे हैं।

दरअसल पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से बारात लेकर दूल्हा छपरा पहुंचा था। जहां शादी के अगले ही दिन देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन लगने से सार्वजनिक यातायात पर रोक लग गई। ऐसे में बंगाल से छपरा पहुंचे 36 बाराती बीते 22 दिनों से छपरा में फंसे हैं। 

23 मार्च को हुई थी शादी, 24 से लगा लॉकडाउन
मिली जानकारी के अनुसार छपरा के मांझी गांव में पश्चिम बंगाल के भिखमहि गांव से बारात आई थी। दूरी के कारण इस बारात में दूल्हे के परिवार और निकट संबंधी सहित कुल 36 लोग आए थे। 23 मार्च को पारंपरिक रिति-रिवाज से शादी की रस्में पूरी हुई। लेकिन दुल्हन की विदाई से पहले ही देश में लॉकडाउन लग गया। इस कारण सभी बाराती यही फंस गए। इस समय से ये सभी लोग मांझी गांव के एक स्कूल में शरण लिए हुए है। दूल्हा भी बारातियों के साथ स्कूल में ही है।  दुल्हन पक्ष से बारातियों की स्वागत पूरे मान-आदर के साथ की गई।

लॉकडाउन में फंस जाने के बाद भी कई दिनों तक दुल्हन के परिवार वालों ने बारातियों के भोजन-पानी और रहने की सारी व्यवस्था की। लेकिन अब दुल्हन के पिता के सामने भी बारातियों का खर्च उठा पाना संभव नहीं हो रहा है। 

बारातियों का पैसा हुआ खत्म, 3 मई तक रुकना परेशानी
अब बारातियों के खाने-पीने का खर्च मांझी के ग्रामीण सामूहिक रूप से उठा रहे हैं। बारातियों को हो रही तकलीफ को देखते हुए दुल्हन भी अब अपना घर छोड़कर गांव के स्कूल में बारातियों के साथ रह रही है। बता दें कि लॉकडाउन के कारण बारातियों ने स्थानीय प्रशासन से अपनी परेशानी बताते हुए बंगाल वापस जाने के लिए पास भी बनवाया था। लेकिन झारखंड सरकार ने इनके पास को निरस्त कर दिया। अब बारातियों के साथ-साथ लड़की पक्ष के लोगों का भी हाथ खाली हो चुका है। ऐसे में अब 3 मई तक का समय काटना इन 36 लोगों के लिए भारी परेशानी बन गई है।  

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