उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुई छठ पूजा, 36 घंटे निर्जला व्रत के बाद महिलाओं ने तोड़ा उपवास

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा सोमवार को संपन्न हो गया । उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का सोमवार को समापन हो गया।

Ujjwal Singh | Published : Oct 31, 2022 3:21 AM IST / Updated: Oct 31 2022, 08:52 AM IST

पटना(Bihar). लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा सोमवार को संपन्न हो गया । उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का सोमवार को समापन हो गया। उगते सूर्य की उपासना के बाद छठ व्रतियों ने पारण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास तोड़ा। बिहार में छठ पर्व के दौरान भारी उत्साह देखने को मिला। गंगा के घाटों पर छठ पर्व की आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा।  छठ मइया की गीतों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। 

सोमवार भोर से ही छठ व्रती गंगा किनारे घाटों पर पहुंच कर भगवान सूर्य के निकलने का इंतजार करते देखे गए। क्योंकि सोमवार को चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही इस व्रत का समापन होना है। 36 घंटे तक कठिन निर्जला व्रत रहने के बाद व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देकर पारण किया और अपना उपवास तोड़ा। खरना के बाद रविवार को छठ का तीसरा दिन रहा। रविवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया था।

4 दिन चलता है छठ पर्व
छठ पर्व 4 दिन चलता है। पहले दिन नहाय-खाय यानी पवित्र स्नान करके शुद्ध सात्विक भोजन की परंपरा है, तो दूसरे दिन खरना पूजा होती है, यह भी शुद्धता का प्रतीक है। इसके बाद व्रत करने वाले लोग- महिलाएं और पुरुष 36 घंटे निर्जला यानी एक बूंद पानी पिए बगैर उपवास रखते हैं।

सोमवार को छठ का अंतिम दिन 
पूजा के तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रत संपन्न करने की परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है। छठ पर्व ऐसा पर्व है जिसमें कोई कर्मकांड नहीं है, केवल श्रद्धा है, उल्लास है। सूर्य देवता के प्रति अटूट आस्था है। जिसका अनूठा रूप पूरे त्यौहार के दौरान 4 दिनों तक जगह-जगह दिखता है। इसका अंतिम चरण सोमवार को है।

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