सीधे निर्भया के दोषी के गांव से; घरवालों से हमदर्दी मगर अब तक दरिंदे को माफ नहीं कर पाए हैं गांववाले

Published : Jan 10, 2020, 02:13 PM ISTUpdated : Jan 11, 2020, 03:01 AM IST
सीधे निर्भया के दोषी के गांव से; घरवालों से हमदर्दी मगर अब तक दरिंदे को माफ नहीं कर पाए हैं गांववाले

सार

निर्भया केस के चारों आरोपियों का डेथ वारंट निकल चुका है। यदि सुप्रीम कोर्ट को स्टे नहीं लगाती है तो 22 जनवरी को चारों आरोपियों  को फांसी की सजा दे दी जाएगी।  वारंट जारी होने के बाद निर्भया के गुनाहगारों के गांवों में अजीब सन्नाटा छाया हुआ है।  

औरंगाबाद। बलात्कार अथवा अन्य संगीन अपराधों में ज्यादातर यह देखा जाता है कि घटना सामने आने के बाद आरोपी के परिजन उसे बचाने की जुगत में लग जाते हैं। समाज की इस गंदी मानसिकता को दामिनी सहित कई फिल्मों में दिखाया भी गया है। लेकिन पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया केस के एक दोषी के पिता ने बेटे के कुकर्म पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं की थी। 2012 में घटी इस घिनौनी घटना के बाद जब उनका लड़का भाग कर घर आया था तो उसके पीछे-पीछे दिल्ली पुलिस भी पहुंची थी। तब  पिता ने बेटे को भगाने के बदले खुद उसे कानून के हवाले किया था। जबकि वो चाहते तो आसानी से अपने बेटे को पड़ोसी देश नेपाल भेज सकते थे। 

राम सिंह ने अक्षय को दिलाई थी नौकरी
आज जब इस केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया है तब उक्त पिता की आंखें बरबस नम है। उन्हें पुत्र वियोग का दुख तो है लेकिन अपने किए पर कोई पछतावा नहीं। इस घटना के बाद गांव वालों ने निर्भया के गुनाहकार को अबतक माफ तो नहीं किया है। लेकिन उसके परिवार के साथ गांव वालों को सहानुभुति है। हम बात कर रहे हैं निर्भया केस के दोषी अक्षय ठाकुर की। औरंगाबाद के कर्मा लहंग गांव निवासी अक्षय ठाकुर नौकरी के लिए दिल्ली गया था। जहां उसे राम सिंह (निर्भया केस का मुख्य आरोपी जिसने फांसी लगाई) ने एक बस में कंडक्टर की नौकरी दिलाई थी। 

घटना के बाद घर भाग आया था अक्षय
राम सिंह के जरिए ही अक्षय फल बेचने वाले पवन गुप्ता के संपर्क में आया था। 16 दिसंबर 2012 को पारामेडिकल की छात्रा के साथ सभी छह दोषियों ने दरिंदगी की हदें पार की थी। घटना पर बवाल के बाद अक्षय  भाग कर अपने गांव औरंगबाद आ गया था। लेकिन उसका पीछा करते हुए दिल्ली पुलिस भी यहां आई थी। परिवार में जानकारी मिलने के बाद अक्षय के पिता सरयू सिंह ने खुद बेटे को पुलिस के हवाले किया था। हालांकि यदि वो चाहते तो वो अक्षय को नेपाल भगा सकते थे। लेकिन उन्होंने बेटे के कुकर्म पर पर्दा नहीं डाला। 

गांव में पसरा है अजीब है सन्नाटा
डेथ वारंट जारी होने के बाद अक्षय के गांव में अजीब सन्नाटा छाया है। कोई भी ग्रामीण इस मसले पर कुछ नहीं बात करना चाह रहा है। अक्षय के परिवार में भी चूल्हा-चौकी लापरवाह बनी हुई है। जीवन के आखिरी पड़ाव पर खड़े पिता सरयू सिंह शांत पड़ गए है। उनके अंदर बेटे को खोने की टिस तो है लेकिन वो भी जानते हैं कि बेटे ने जो अपराध किया वो अक्षम्य है। हालांकि अक्षय के भाई ने कहा कि हम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम आखिरी दम तक लड़ेंगे।   

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