झारखंड में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस अब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। पार्टी के एक शीर्ष नेता ने विधानसभा चुनाव से छह माह पहले घटक दलों के साथ सीट बंटवारे का फैसला करने का सुझाव दिया है।
पटना। बिहार में विधानसभा का चुनाव 2020 में अक्टूबर-नवंबर में होना प्रस्तावित है। लेकिन अभी से इस चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की सरगर्मी तेज हो चली है। महाराष्ट्र और झारखंड में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस में भी नई जान आई है। अब कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव से छह माह पहले सभी घटक दलों के साथ मिलकर सीटों का बंटवारा चाहती है। बता दें कि बिहार में कांग्रेस, राजद, रालोसपा, वीआईपी और हम के साथ महागठबंधन में हैं। चुनाव के ऐन मौके पर सीट के लिए होने वाले खींचतान से बचने के लिए कांग्रेस ने राजद को सीट बंटवारा के फैसले से अवगत करा दिया है।
अप्रैल-मई में सीट बंटवारे पर कर लें निर्णय
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक चली खींचतान जैसी किसी भी स्थिति से विधानसभा चुनाव में बचना चाहती है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने समाचार एजेंसी 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ' हमने राजद को अवगत कराया है कि सीट बंटवारे पर अगर पांच-छह महीने पहले ही फैसला हो जाएगा तो गठबंधन के लिए स्थिति ज्यादा मजबूत रहेगी क्योंकि पार्टियों को अपनी तैयारी और रणनीति के लिए पूरा समय मिलेगा।' उन्होंने कहा, 'हमारी कोशिश है कि गठबंधन से जुड़ी पार्टियों के नेता अगले साल अप्रैल या मई में बैठ कर सीट बंटवारे पर निर्णय कर लें।'
लोकसभा में केवल एक सीट जीती थी महागठबंधन
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, चुनाव से कुछ महीने पहले सीट बंटवारे की स्थिति साफ होने के बाद पार्टी को सही उम्मीदवार तय करने का पर्याप्त समय मिलेगा और दूसरे सभी राजनीतिक समीकरण साधने में भी मदद मिलेगी।
पार्टी के एक नेता ने कहा, 'लोकसभा चुनाव में आखिर तक सीटों के तालमेल की स्थिति को लेकर असमंजस बना रहा और हमारे गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। झारखंड में समय पर सब कुछ तय होने का हमें फायदा मिला। हमें बिहार में भी यही करना होगा। लोकसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस, हम, वीआईपी और रालोसपा साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन राज्य की 40 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज में जीत मिली। शेष 39 सीटों पर भाजपा-जदयू-लोजपा गठबंधन ने जीत हासिल की।