
पटना। कोरोना धीरे-धीरे ही सही लेकिन बिहार में अपना पांव पसारता जा रहा है। 22 मार्च को पहले मामले की पुष्टि के बाद से अबतक राज्य में 31 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। जिसमें एक की मौत हुई है, जबकि तीन ठीक होकर घर भेजे जा चुके हैं। कोरोना पर लगाम की हरसंभव कोशिश करने का केंद्र व राज्य सरकार से मिले निर्देश के अनुसार राज्य के सभी बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों के जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इस बीच राजधानी पटना के आईजीएमएस हॉस्पिटल की एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां तीन दिनों भर्ती कोरोना के संदिग्ध मरीज की जांच नहीं की जा सकी। आज गंभीर स्थिति में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जिसके बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है।
शनिवार को भर्ती की गई थी, सांस लेने में थी तकलीफ
महिला मरीज की मौत के बाद उसके परिजन अस्पताल परिसर में हंगामा करने लगे। परिजनों का आरोप था कि महिला में कोरोना के लक्षण थे। डॉक्टर ने उसे जांच के लिए बोला भी था। लेकिन तीन दिनों तक उसकी जांच नहीं की जा सकी और नहीं उसका समुचित इलाज किया जा सका। परिजनों ने बताया कि महिला को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जिसके बाद उसे शनिवार को आईजीएमएस में भर्ती कराया गया था। पटना की मरीज की मौत से इतर गुरुवार की शाम भोजपुर जिले में भी कोरोना के संदिग्ध मरीज की मौत हुई थी।
भागलपुर में भी सामने आ चुका है लापरवाही की बात
ऐसा ही एक मामला भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से बीते सप्ताह सामने आया था। जिसमें दिल्ली से लौटे एक संदिग्ध मरीज की हो गई थी। भागलपुर में जिस मरीज की मौत हुई थी वो सोनपुर का रहने वाला बताया गया था। तीन दिनों तक उसका शव रखने के बाद अस्पताल प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम कराए ही उसका दाह संस्कार कर दिया था। यहां तक की मरीज की मौत की जानकारी भी परिजनों तक नहीं पहुंची थी। ऐसी लापरवाही के बीच राज्य में बढ़ रहे कोरोना के मरीजों की संख्या चिंता का कारण बना है।
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