यह तस्वीर आरा के महादेवा रोड की है। जहां एक युवक नाली के पास पड़े कूड़े से एक पत्तल उठाकर उससे जूठन उठाकर खा रहा है। उसे भूख के सामने यह भी पता नहीं चला कि यह खाना किसी नाली के पास पड़ा हुआ है।
आरा (बिहार). कोरोना के कॉल में सामने आ रहीं मार्मिक तस्वीरों को देखना दर्द पैदा करता है, लेकिन सच्चाई यही है। लॉकडाउन में मजूदरों की जिंदगी ठहर सी गई है। वह आज दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं। इस मुश्किल घड़ी में ऐसी ही एक तस्वीर बिहार से सामने आई है जो भूख की विवशता दिखा रही है।
भूख लगी तो नाली में पड़ी जूठन खाने लगा मजदूर
दरअसल, यह तस्वीर आरा के महादेवा रोड की है। जहां एक युवक नाली के पास पड़े कूड़े से एक पत्तल उठाकर उससे जूठन उठाकर खा रहा है। उसे भूख के सामने यह भी पता नहीं चला कि यह खाना किसी नाली के पास पड़ा हुआ है।
भूख की विवशता कुछ भी करा रही
लॉकडाउन में गरीबों पर जैसे आफत आ गई है, उनकी जिंदगी मानों ठहर सी गई है। वहीं लाखों मजदूरों की रोटी पर जब आफत टूटा तो वह नंगे पैर हजारों किलोमीटर दूर अपने गांव के लिए पैदल निकल पड़े हैं।