1200 KM साइकिल चलाकर बीमार पिता को बेटी लाई थी घर, अब साइकिलिंग फेडरेशन ने दिया ऐसा ऑफर

Published : May 22, 2020, 01:00 PM IST
1200 KM साइकिल चलाकर बीमार पिता को बेटी लाई थी घर, अब साइकिलिंग फेडरेशन ने दिया ऐसा ऑफर

सार

दरभंगा की 15 साल की ज्योति तब सुर्खियों में आईं जब उसने अपने बीमार पिता को गुड़गांव से साइकिल से बिहार ले आई। सात दिनों में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए ज्योति बिहार पहुंची थी।  

दरभंगा। गुड़गांव से बीमार पिता को साइकिल पर बिठाकर बिहार लाने वाली 15 साल की ज्योति को अब बड़ा मौका मिला है। ज्योति की साइकिलिंग कैपसिटी देखकर साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उसे अगले महीने ट्रायल के लिए बुलाया है। यदि ज्योति ट्रायल में सफल होती है तो उसे एकेडमी में जगह मिल जाएगी। जहां वो साइकिलिंग की ट्रेनिंग करेंगी और देश-विदेश में होने वाले टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं। 

फेडरेशन के चेयरमैन ओंकार सिंह ने कहा कि ज्योति अगर ट्रायल में सफल रहती हैं तो उन्हें दिल्ली स्थित नेशनल साइकिलिंग एकेडमी में जगह मिलेगी। उन्होंने कहा कि ज्योति से बात हुई है। फेडरेशन के चेयरमैन ने बताया कि लॉकडाउन हटने के बाद अगले महीने हमने ज्योति को दिल्ली आने को कहा है। सभी खर्च हम उठाएंगे। 

7-8 पैरामीटर का परीक्षण

ओंकार सिंह ने कहा, अगर वे किसी के साथ आना चाहती हैं तो हम इसकी भी अनुमति देंगे। 1200 किमी से अधिक साइकिल चलाने के लिए स्ट्रेंथ और फिजिकल एंड्यूरेंस होना चाहिए। हम एकेडमी में कम्प्यूटराइज्ड साइकिल से 7-8 पैरामीटर का परीक्षण करेंगे। वे सफल रहीं तो एकेडमी में जगह मिलेगी। बता दें कि ज्योति लॉकडाउन के बीच सुर्खियों में तब आई जब उसने गुड़गांव से अपने बीमार पिता को साइकिल से बिठाकर गुड़गांव से दरभंगा ले आई। 

ज्योति के जज्बे को कई संगठनों ने दिया सम्मान
उल्लेखनीय है कि 15 साल की ज्योति लॉकडाउन के दौरान गुरुग्राम से बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर कमतौल थाना क्षेत्र की टेकटार पंचायत के सिरहुल्ली गांव आई थी। ज्योति ने 1200 किमी साइकिल 7 दिनों में चलाई थी। आठवीं क्लास की छात्रा ज्योति ने बताया कि गुरुग्राम में उसके पिता बीमार थे। लॉकडाउन के दौरान उनका सही से इलाज नहीं हो पाया। पैसे की कमी से खाने में भी दिक्कत होने लगी थी।

ज्योति ने बताया, मकान मालिक रूम छोड़ने के लिए दबाव देने लगे थे। ज्योति ने कहा कि साइकिल के सिवा आने के लिए और कुछ नहीं था। मैंने साइकिल से घर आने का फैसला लिया। पापा को साइकिल पर बैठा कर 10 मई को गुरुग्राम से चली थी। ज्योति के जज्बे को कई संगठनों ने भी सम्मान दिया है।

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