राम मंदिर के लिए बने ट्रस्ट में बिहार से एकमात्र कामेश्वर चौपाल शामिल, जानिए कौन हैं वो?

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद मोदी सरकार बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए 15 सदस्यीय ट्रस्ट का गठन कर दिया है। इस ट्रस्ट में बिहार से एक मात्र व्यक्ति कामेश्वर चौपाल को शामिल किया  गया है। 

सुपौल। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद मोदी सरकार बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए 15 सदस्यीय ट्रस्ट का गठन कर दिया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नामक इस ट्रस्ट के प्रमुख वरिष्ठ वकील के. परासरन बनाए गए हैं। परासरन सालों तक लंबे चले इस विवाद में हिंदू पक्ष के वकील थे। उनके दलील और सटीक तर्कों के सहारे ही सुप्रीम कोर्ट से इस विवाद पर हिंदूओं की जीत हुई। इस ट्रस्ट में बिहार से एक मात्र व्यक्ति कामेश्वर चौपाल को शामिल किया  गया है। यूं तो कामेश्वर चौपाल संघ में बड़े नाम हैं। लेकिन ज्यादातर लोग इनके बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं। यहां हम बता आपको कामेश्वर चौपाल के बारे में जरूरी जानकारियां दे रहे है। 

सुपौल में जन्म, मधुबनी में की पढ़ाई
कामेश्वर चौपाल बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई मधुबनी से की। उसी दौरान वे संघ के संपर्क में आए। उनके शिक्षक और संघ कार्यकर्ता की मदद से उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज में एडमिशन मिला। ग्रेजुएशन करने के बाद कामेश्वर ने अपना जीवन पूरी तरह से संघ को समर्पित कर दिया। उन्हें मधुबनी जिले का जिला प्रचारक बनाया गया। तभी तमिलनाडू में 800 दलितों मुस्लिम अपनाने की घटना हुई। जिसके बाद वो दलितों के बीच संघ की पैठ को मजबूत करने में जुट गए। 

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राम मंदिर शिलान्यास की पहली ईंट रखी
1980 के दशक में जब राम मंदिर के लिए आंदोलन की सुगबुगाहक तेज हुई तो भाजपा, विहिप सहित अन्य संस्थाओं ने रणनीति बनानी शुरू की। इसी बीच राम मंदिर के लिए पहली यात्रा बिहार के सीतामढ़ी जिले में निकाली गई। इस यात्रा को जबरदस्त जनसमर्थन मिला। 1986 में राजीव गांधी द्वारा विवादित ढांचे के ताले खुलवा दिए गए। जिसके बाद 1989 में संघ ने शिलान्यास का कार्यक्रम रखा। राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के लिए कामेश्वर चौपाल को भी चुना गया। कामेश्वर तब अयोध्या में ही रहते थे। उन्होंने ही राम मंदिर निर्माण के लिए सबसे पहली ईंट रखी। इस कारण राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखने वाले कारसेवक के रूप में कामेश्वर का जाना जाने लगा।

दो बार लड़े चुनाव, नहीं मिली कामयाबी 
कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से आते हैं। एक दलित के हाथों मंदिर निर्माण के शिलान्यास के जरिए संघ ने व्यापक दलित समुदाय को बड़ा संदेश दिया। बाद में लालकृष्ण आडवानी के नेतृत्व में राम मंदिर के रथ यात्रा निकाली गई। जिसमें कामेश्वर चौपाल ने महती भूमिका निभाई। 1991 में कामेश्वर पार्टी के निर्णय पर रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2002 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2014 में रंजीता रंजन के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।   

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