इस जिंदादिली को सलाम: साइकिल चलाकर लंदन से भारत पहुंचा कैंसर मरीज, 4thस्टेज में बीमारी..फिर भी घूम रहा दुनिया

हौसलों की दम पर कमाल कर दिखाया है एक विदेशी शख्स ने, जो की एक कैंसर पीड़ित है और उसकी यह बीमारी इस समय चौथी स्टेज पर पहुंच चुकी है। लेकिन उसका जज्बा देखने लायक है। क्योंकि वह 30 हजार किलोमीटर की यात्रा साइकिल से तय कर भारत पहंचा है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2022 11:36 AM IST / Updated: Feb 08 2022, 05:17 PM IST

नालंदा (बिहार). ''ख्वाब टूटे हैं मगर हौंसले जिंदा हैं, हम वो हैं जहां मुश्किलें शर्मिदा हैं''। हौसला की दम पर कुछ ऐसा ही कर दिखाया है एक विदेशी शख्स ने, जो की एक कैंसर पीड़ित है और उसकी यह बीमारी इस समय चौथी स्टेज पर पहुंच चुकी है। लेकिन उसका जज्बा देखने लायक है। क्योंकि वह 30 हजार किलोमीटर की यात्रा साइकिल से तय कर भारत पहंचा है। इतना ही नहीं वह वह लोगों को कह रहा है कि बीमारी कितना ही खतरनाक हो, बस मन से हार नहीं मानना चाहिए।

लंदन से साइकिल चलाकर बिहार पहुंचे
दरअसल, लाखों लोगों को हौंसला देने वाले यह शख्स लंदन के ब्रिस्टल के रहने वाले लुक ग्रेनफुल्ल शॉ (28) हैं। जो कैंसर पीड़ित होते हुए भी  सोमवार देर शाम साइकिल चलाकर बिहार के नालंदा पहुंचे हैं। उन्होंने नालंदा के प्राचीन भग्नावशेष का अवलोकन किया। शॉ यहां कुछ देर ठहरने के बाद कोलकाता के लिए निकल गए। जहां से वह पूरे भारत की साइकिल से यात्रा करेंगे।

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अब तक साइकिल से 27 देशों की यात्रा कर चुके
बता दें कि लुक ग्रेनफुल्ल शॉ बीमार लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साइकिल द्वारा पूरे विश्व की यात्रा पर निकले हैं। उन्होंने अपने शहर ब्रिस्टाल के नाम से यात्रा का नाम ब्रिस्टाल टू बीजिंग रखा है। अभी तक वह 27 देशों की यात्रा कर चुके हैं। भारत आने से पहले वो पाकिस्तान पहुंचे हुए थे। इसके बाद वह चीन जायेंगे, जहा इनकी यात्रा संपन्न होगी।

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''कैंसरी जैसी बीमारी भी इनसे अब डरती''
लुक ग्रेनफुल्ल शॉ ने भारत के नहीं पूरे दुनिया के लोगों से अपील की है कि वह अगर वह किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो डरे नहीं, बल्कि इसका डटकर सामना करें। बीमारी की चिंता में घर में नहीं बैठें, अपने आप को किसी ना किसी काम में बिजी रखें। उन्होंने अपनी कहानी बताते हुए कहा की मुझे 24 साल की उम्र में पता चला कि मैं कैंसर से पीड़त हूं और वह  4th स्टेज तक पहुंच चुकी है। लेकिन मैंने सोच लिया था कि अब में किसी ने नहीं डरूंगा। बल्कि इसको मात देकर ही मानूंगा। इसके लिए मैं विश्व भ्रमण पर साइकिल से निकल पड़ा।

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