अंग्रेजों से भारत की आजादी के समय देश में 562 रियासतें थे। जिसे सरदार पटेल ने एक-एक कर भारत में शामिल कराया। इस दौरान बिहार के बक्सर में डुमरांव रिसायत था। जहां के अंतिम महाराज और पहले लोकसभा चुनाव के आखिरी जीवित सांसद कमल सिंह का आज निधन हो गया।
बक्सर। रविवार की सुबह करीब 5.10 मिनट पर डुमरांव महाराज कमल सिंह का निधन हो गया। वे 93 साल के थे। देश के पहले लोकसभा चुनाव के वे आखिरी जीवित सांसद थे। उनके निधन की पुष्टि उनके पुत्र चंद्रविजय सिंह ने की। चंद्रविजय ने बताया कि कमल सिंह का पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए भोजपुर स्थित कोठी पर रखा जाएगा। सोमवार की सुबह कमल सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। कमल सिंह के निधन की सूचना मिलते ही डुमरांव में शोक की लहर फैल गई। लोग उनसे जुड़े किस्से-कहानियों की बात करते दिखे। बता दें कि कमल सिंह ने डुमरांव ने समाज सुधार के कई महत्त्वपूर्ण काम किया था। अब लोग उन कामों के जरिए उन्हें याद करेंगे।
एक स्वर्णिम और गौरवशाली अतीत का अंतः चौबे
कमल सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि आज एक स्वर्णिम और गौरवशाली अतीत का अंत हो गया। कमल सिंह के बारे में बताया जाता है कि वो जनता से बेहद जुड़े थे। आलीशान कोठी में रहते हुए भी लोगों से मिलना उन्हें अच्छा लगता था। यही वजह थी कि वो दो-दो बार लोकसभा चुनाव जीते। आजाद भारत के पहले लोकसभा चुनाव में कमल सिंह शाहाबाद लोकसभा सीट से जीत कर दिल्ली पहुंचे। उस समय का शाहाबाद वर्तमान बिहार के चार जिलें क्रमशः बक्सर, सासाराम, भोजपुर और कैमूर हैं। इन चार जिलों में उनका सिक्का चलता था।
अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी थे कमल सिंह
देश के दूसरे लोकसभा चुनाव में वर्ष 1957 में बक्सर लोकसभा सीट अस्तित्व में आया। तब कमल सिंह बक्सर से चुनाव जीत कर दिल्ली पहुंचे। उन्होंने अपने क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया। बक्सर में प्रतापसागर स्थित टीबी अस्पताल, डुमरांव राज अस्पताल, नगर में दो बालिका विद्यालय तथा आरा स्थित महाराजा कॉलेज व एचडी जैन कॉलेज सहित दर्जनों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मंदिर, मठ-मठिया उनकी देन हैं। कहा जाता है कि कमल सिंह अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी थे। जनसंघ की स्थापना के बाद अटल बिहार वाजपेयी के कहने पर ही कमल सिंह उसमें शामिल हुए थे।