बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लोजपा ने 43 सीटों पर अपना दावा ठोंका है। लोजपा सांसद सह दलिता सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हम पिछली बार भी 43 सीटों पर लड़े थे, इस बार भी हमें 43 सीटें चाहिए।
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है। अभी चुनाव में लगभग आठ महीनों का समय बाकी है। लेकिन सीटों पर दावा करने का दौर शुरू हो चला है। हाल ही में प्रशांत किशोर ने सीट बंटवारा में भाजपा के मुकाबले जदयू को ज्यादा सीटें मिलने की वकालत की थी। अब एनडीए की एक अन्य सहयोगी पार्टी लोजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर अपना दावा किया है। लोजपा सांसद और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उनकी पार्टी 2015 में भी 43 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। सीटों के बंटवारे में लोजपा को इस बार भी इतनी ही सीटें चाहिए।
लोकसभा चुनाव में हमारा स्ट्राइट रेट सौ फीसदीः पारस
लोजपा के संस्थापक अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने कहा कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट सौ फीसदी रहा है। चिराग पासवान के नेतृत्व में पार्टी का जनाधार बढ़ा है। इस लिए इस बार भी हमें 43 सीटें चाहिए। हालांकि पारस ने जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के सीट बंटवारा फॉर्मूले को खारिज किया। पशुपति पारस ने साफ कहा कि प्रशांत किशोर का फॉर्मूला सही नहीं है। लोकसभा चुनाव के समय जैसे सीटों का बंटवारा हुआ था उसी तर्ज पर विधानसभा चुनाव में भी सीटों का बंटवारा होना चाहिए।
बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें
उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 17-17 और छह का फॉर्मूला था। भाजपा और जदयू ने 17-17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जबकि लोजपा को छह सीटें दी गई थी। जिसमें लोजपा ने सभी छह सीटों पर जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की हकमारी नहीं कर सकती। बता दें कि बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें है। यदि मांग के अनुसार लोजपा को 43 सीटें दी जाती है तो भाजपा और जदयू के पास 200 सीटें बचेगी। जिसे बराबरी में बांटा जाए तो दोनों पार्टियों के पाले में 100-100 सीटें बचेगी।