4 साल की उम्र में दिमागी बुखार की चपेट में आया था। इलाज के लिए नहीं थे पैसे। मासूम ने खो दिया दिमागी संतुलन, अब करता है जानवरों की तरह हरकत।
बरौली: बिहार के बरौली गांव का 11 साल का आकाश, सामान्य बच्चों से बिल्कुल भिन्न है। वह आम बच्चों की तरह खुलकर घूमफिर नहीं सकता और ना ही खेलकूद सकता है। उसकी हरकतों की वजह से मां उसे पेड़ से रस्सी के सहारे बांध कर रखती है। उसे किसी गलती की सजा नहीं दी जाती, बल्कि उसकी मां की उसे इस तरीके से रखना मजबूरी है। जन्म से 4 साल तक सामान्य बच्चों की तरह जीवन जीने वाला यह मासूम 7 साल से जानवरों की तरह खूंटे से बंधा है।
बचपन में हुआ था दिमाग का बुखार
2008 में जन्में आकाश को चार साल बाद ही दिमागी बुखार हो गया था। उसके मां-बाप खेतों में मजदूरी करते हैं। तीन बच्चों में सबसे बड़े बेटे आकाश की बीमारी में इलाज के लिए 2 हजार रूपए लग रहे थे। मां-बाप ने गांव से लेकर अफसरों तक मदद कि गुहार लगाई ,लेकिन कोई आगे नहीं आया। ऐसे में इलाज ना हो पाने के कारण बच्चे ने दिमागी संतुलन खो दिया। नतीजतन, एक मां अपने जिगर के टुकड़े को जानवरों की तरह खूंटे से बांधने पर मजबूर है।
पेड़ से बांधने की वजह
दिमागी संतुलन खो देने कि वजह आकाश कुछ भी सोचने या समझने में असमर्थ है। वह कहीं भाग ना जाए या फिर नदी-तालाब में डूब न जाए इस कारण उसे पेड़ से बांधकर रखते हैं। 7 साल से रस्सी से बंधे होने के कारण, मासूम की हरकतें अब जानवरों के भांती हो गई है। मां-बाप उसके जीवन को लेकर चिंतित रहते हैं।
इलाज के लिए लोगों से मांगी मदद
आकाश के मां बाप ने लोगों से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई आगे नहीं आया। वो कहते हैं, "हम मजदूर लोग हैं। अच्छे इलाज के लिए पैसे चाहिए। डॉक्टर कहते हैं बहुत पैसा लगेगा। हम कहां से लाये। जब इसे दिमागी बुखार हुआ था तो, दो हजार भी मुश्किल से जुटा पाए थे।"