डॉक्टर मां की जिंदादिली: दोनों बच्चों के साथ खुद भी संक्रमित, फिर भी बेटे को गोद में लेकर कर रहीं इलाज

यह साहस और प्रेरणादायी काम करने वाली डॉ सोनल सिंह हैं, जो कई महिलाओं के लिए इस निगेटिव दौर में मॉडल बनी हैं। वह नेत्र सर्जन हैं, लेकिन इन दिनों वो कोविड मरीजों को देख रही हैं। डॉ सोनल संक्रमित होने की वजह से हॉस्पिटल तो नहीं जा पा रहीं, लेकिन वह घर में रहकर मरीजों के कॉल अटेंड करती हैं। 

पटना (बिहार). 8 मई यानि रविवार को पूरी दुनिया में मदर्स डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। महामारी के दौर में ऐसी कई डॉक्टर और नर्स माएं हैं जो आज के दिन भी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों की जिंदगी बचाने में जुटी हुई हैं। ऐसी ही एक जिंदादिल कहानी बिहार की राजधानी पटना से सामने आई है, जहां एक महिला डॉक्टर 4 साल और साथ एक साल के बेटे को गोद में लेकर दूसरों जान बचाने में अपना फर्ज निभा रही है। जबकि वह खुद संक्रमित है। लेकिन वो अपने साथ-साथ दूसरों का भी भरपूर ख्याल रख रही हैं।

घर से संभाल रही हॉस्पिटल मैनेजमेंट
दरअसल, यह साहस और प्रेरणादायी काम करने वाली डॉ सोनल सिंह हैं, जो कई महिलाओं के लिए इस निगेटिव दौर में मॉडल बनी हैं। वह नेत्र सर्जन हैं, लेकिन इन दिनों वो कोविड मरीजों को देख रही हैं। डॉ सोनल संक्रमित होने की वजह से हॉस्पिटल तो नहीं जा पा रहीं, लेकिन वह घर में रहकर मरीजों के कॉल अटेंड करती हैं। उनको फोन पर बताती हैं कि आपको कैसे अपना ख्याल रखना है। इसके अलावा वो हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए बेहतर मैनेजमेंट के लिए स्टाफ को भी यहीं से संभाल रही हैं।

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डॉक्टर का पूरा परिवार है कोरोना पॉजिटिव
बता दें कि डॉ सोनल सिंह की आज से 15 दिन पहले कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उनसे ही उनका एक साल का बेटा अद्वित सिंह और फिर 4 साल का बेटा अक्षत भी पॉजिटिव हो गया। फिर उनके माता-पिता भी संक्रमित हो गए। सिर्फ उनके पति डॉ अखिलेश की रिपोर्ट निगेटिव आई है। लेकिन इसके बाद भी  डॉ सोनल ने हिम्मत नहीं हारी। वह आत्मविश्वास से अपना और बच्चों का पूरा ख्याल रख रही हैं। इतना ही नहीं वह समय रहते अपनी हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को फोन लगाकर उनका हालचाल भी जानती हैं।

परिवार के साथ मरीजों का भी रखती हैं ख्याल
डॉ सोनल ने बताया कि कोई भी अपनी हिम्मत और जीने की चाह नहीं खोए तो कोरोना उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। क्योंकि इंसान के हौसल के सामने यह वायरस बहुत ही छोटा सा है। मैंने ऐसे कई बुजुर्ग मरीजों को देखा है जिन्होंने अपने जज्बे से इस महामारी को मात दी है। उन्होंने कहा कि मुझे  कोरोना से कोई डर नहीं है, वह रोजोना मरीजों को देख रही हैं। जब मेरे बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो थोड़ा डर लगा था, लेकिन बाद में हिम्मत आई और पूरे जोश से परिवार का ख्याल रख रही हूं। बच्चों को संभालती हूं, परिवार के साथ मरीजों को संभालती हूं। इसमें से समय मिल जाए तो अपना भी ख्याल कर लेती हूं।

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