NIA करेगी बिहार पीएफआई मामले की जांच, पीएम मोदी के पटना दौरे पर हुआ था आतंकी साजिश का खुलासा

ऑपरेशन 2047 के तहत बिहार के फुलवारी शरीफ से प्रारंभ की गई थी, लेकिन इस साजिश से जुड़े जाल का कनेक्शन बिहार के कई जिलों और अन्य राज्यों से भी जोड़ा जा रहा है। अब NIA मामले की जांच करेगी।

पटना. बिहार में देश विरोधी गतिविधियों और भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश के मामले में अब केंद्र ने एनआईए की एंट्री करा दी है। अब इस मामले की पूरी जांच एनआईए को सौंप दी गई है। गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी कर इस बात की पुष्टि की है। पीएफआई द्वारा चलाएं रहे संदिग्ध गतिविधियों और पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों से जुड़े कनेक्शन के आरोपों को विस्तार से एनआईए तफ्तीश करेगी। एनआईए जल्द ही इस मामले को औपचारिक तौर पर दर्ज करके विस्तार से जांच में जुट जाएगी। इसके तार चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) से हैं।

अभी बिहार पुलिस की एसआईटी कर रही थी जांच  
अब तक इस मामले की जांच की जिम्मेवारी बिहार पुलिस की एसआईटी के पास थी। इसमें एटीएस समेत अन्‍य एजेंसियां सहयोग कर रही थी। 11 जुलाई को मामले का पर्दाफाश होने के बाद से ही एनआइए, रॉ और आइबी के अधिकारी भी इस मामले पर नजर रख रहे थे। अब गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद नए सिरे से पूरे मामले की जांच एनआइए करेगी। देश विरोधी गतिविधियों का दायरा लगातार बढ़ने के बाद से ही उम्‍मीद की जा रही थी कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की कमान एटीएस या एनआइए संभाल सकती है। 

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पिछले दिनों दो आरापियों को पुलिस ने पकड़ा था
मामले में पिछले कुछ दिनों पहले अतहर परवेज और जलालुद्दीन नाम के दो आरोपियों को केंद्रीय खुफिया एजेंसी आइबी के इनपुट के आधार पर फुलवारी शरीफ की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद जैसे-जैसे जांच पड़ताल का दायरा आगे बढ़ने लगा। तो इसके साथ ही कई बड़े इनपुट भी सामने आने लगे। लिहाजा उन तमाम मामलों की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए और प्रवर्तन निदेशालय को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया है।  मामले में दर्ज एफआईआर में 26 आरोपियों की भूमिका सामने आई है। अन्य 22 को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस कोर्ट से वारंट लेने की तैयारी में है। गौरतलब है कि पीएफआई केस की जांच फिलहाल पटना पुलिस कर रही है। 

नूरुद्दीन और जलालुद्दीन को पुलिस लेगी रिमांड पर
फुलवारी समेत 15 जिलों में युवाओं को ट्रेनिंग देने, देशद्रोह करने आदि के मामले में जेल  में बंद झारखंड के रिटायर दरोगा मोहम्मद जलालुद्दीन और पीएफ आई-एसडीपीआई का कोर्ट में पैरवी करने वाले वकील नूरुद्दीन जंगी को पुलिस शनिवार को जेल से रिमांड पर लेगी। शुक्रवार को कोर्ट ने जंगी जलालुद्दीन को 48 घंटे रिमांड पर लेने की अनुमति दे दी है। पुलिस दोनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी। 

देश को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने के षड्यंत्र की होगी जांच
ऑपरेशन 2047 के तहत बिहार के फुलवारी शरीफ से प्रारंभ की गई थी, लेकिन इस साजिश से जुड़े जाल का कनेक्शन बिहार के कई जिलों और अन्य राज्यों से भी जोड़ा जा रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश, केरल, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई अन्य राज्यों से जोड़ा जा रहा है। कई साल पहले ही केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी और मिलिट्री इंटेलिजेंस के अधिकारियों द्वारा फुलवारी शरीफ में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाला बेहद सुरक्षित और संदिग्ध स्थान बताया गया था। 

पाकिस्तान के इशारे पर पटना में रची जा रही थी साजिश
गौरतलब है कि पटना के फुलवारी शरीफ से रची जा रही साजिश के तार पाकिस्‍तान समेत कई देशों से जुड़ने की बात अब तक की जांच में सामने आ चुकी है। पीएफआइ, एसडीपीआइ के बाद गजवा ए हिंद और आइएसआइ की एंट्री का पता भी चला है।  इस साजिश का पता पीएम नरेंद्र मोदी के पटना आगमन के एक दिन पूर्व 11 जुलाई को चला था। पटना के एएसपी ने फुलवारी शरीफ में एडीपीआइ और पीएफआइ के कार्यालय में रेड की। वहां से झारखंड पुलिस के रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन को अतहर को पकड़ा गया। प्राथमिक सूचना थी कि पीएम के कार्यक्रम के दौरान गड़बड़ी की साजिश रची जा रही है। पुलिस ने जब दोनों को पकड़ा तब षड्यंत्र कितना बड़ा है यह बात सामने आई।

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