CM नीतीश के सामने तेजस्वी होंगे विपक्ष का चेहरा, सीट बंटवारे के करीब हैं दोनों गठबंधन; यहां फंसा है पेंच

एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी और जीतनराम मांझी की 'हम' और महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी, मुकेश साहनी की वीआईपी और सीपीआई (एमएल) के शामिल होने की संभावना है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 26, 2020 6:24 AM IST / Updated: Sep 04 2020, 08:28 PM IST

पटना। विधानसभा चुनाव के लिए बिहार में पार्टियां अपने-अपने अभियान को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। मुख्य रूप से दो गठबंधन चुनाव में आमने-सामने होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए का एक मोर्चा होगा जबकि विपक्ष का महागठबंधन तेजस्वी यादव के चेहरे के साथ मैदान में उतरेगा। चर्चाओं की माने तो दोनों गठबंधन सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने की कोशिशों में हैं। कुछ चीजों को लेकर मतभेद है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही इसे फाइनल कर दिया जाएगा। 

गठबंधनों का स्वरूप क्या होगा? 
एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी और जीतनराम मांझी की 'हम' शामिल होगी। महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी और मुकेश साहनी की वीआईपी शामिल होगी। एनडीए में चिराग पासवान अपनी भूमिका को लेकर नाराज हैं। उन्होंने राज्य की 42 सीटों पर दावा किया है। माना जा रहा है कि मौजूदा हालात में जोखिम उठाने की बजाय वो आखिर में एनडीए के साथ ही रहना पसंद करेंगे। महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी और वीआईपी शामिल होगा। हालांकि तेजस्वी यादव चाहते हैं कि सीपीआई (एमएल) भी उनके मोर्चे में शामिल हो। 

 

एनडीए के फॉर्मूले में एलजेपी-हम से मामला थोड़ा मुश्किल 
बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं। जीतनराम मांझी के सीन से बाहर रहने एनडीए में 110, 100 और 33 सीटों का फॉर्मूला बनाया गया था। चिराग और सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को महागठबंधन से अपने पाले में मिला लिया है। एनडीए में हम की भूमिका क्या होगी ये अबतक साफ नहीं हो पाया है। हम की भूमिका साफ होने तक एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्लियर नहीं होगा।

मांझी, नीतीश कुमार के साथ वर्चुअल मीटिंग में शामिल हो रहे हैं। अब वो एक दल की हैसियत से शामिल होंगे या अपनी पार्टी का विलय करेंगे इसका साफ होना बाकी है। अगर विलय करते हैं तो मौजूदा फॉर्मूला थोड़ा बहुत कम ज्यादा के साथ फाइनल हो जाएगा। लेकिन अगर पार्टी के रूप में शामिल होंगे तो सीट शेयरिंग फिर से काउंट करना पड़ेगा। ऐसे में 110, 100 और 33 का फॉर्मूला बदलना होगा। जेडीयू, बीजेपी को अपनी सीटें कम करनी पड़ सकती हैं। इसकी संभावना कम है कि 42 सीटों को मांगने वाले चिराग 33 से भी कम सीटों पर लड़ने को तैयार हों। 

 

महागठबंधन का पेंच यहां फंसा है 
2015 में महागठबंधन में जेडीयू भी शामिल था। उस वक्त जेडीयू-आरजेडी ने 101-101 सीट और कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार महागठबंधन में आरजेडी कांग्रेस के साथ उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और मुकेश साहनी की वीआईपी शामिल है। सीपीआई (एमएल) का भी एक सीन बन रहा है। इन्हीं दलों के बीच शेयरिंग को लेकर बातचीत हो रही है। आरजेडी 150 सीटों पर कांग्रेस 42 और बाकी दलों को 51 सीटों पर समझौते को लेकर बात चल रही है। यहां पेंच सीपीआई की भूमिका को लेकर है। सीपीआई महागठबंधन का हिस्सा नहीं बना तो उसकी सीटें आरजेडी के अलावा बाकी दलों में बंट सकती हैं। 

2015 में आरजेडी ने 110 सीटों पर लड़कर 81 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने 40 सीटों पर लड़कर 27 जीती थीं। 

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