CAA पर बयान देने वाले पवन वर्मा को नीतीश का साफ संदेश, जिस पार्टी में जाना हो जाएं, मेरी शुभकामनाएं

सीएए पर सार्वजनिक बयानबाजी कर पार्टी नेतृत्व और गठबंधन की किरकिरी करने वाले जदयू के राष्ट्रीय महासिचव पवन वर्मा पर पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सख्त तेवर दिखाए हैं। नीतीश ने साफ कहा कि उन्हें जहां जाना है जाएं, मेरी शुभकामनाएं उनके साथ है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2020 5:56 AM IST

पटना। नागरिकता कानून (सीएए), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) और एनआरपी पर सार्वजनिक बयान और पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने वाले जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा पर नीतीश कुमार ने तीखे तेवर दिखाए है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पवन वर्मा के पत्र पर पूछने साफ कहा कि उन्हें जहां जाना है जाए, उनको मेरी शुभकामनाएं। नीतीश कुमार ने कहा कि यदि किसी को किसी भी मुद्दे पर कोई दिक्कत है तो वो पार्टी के भीतर, पार्टी बैठकों में इसे उठाएं। लेकिन इस तरह की सार्वजनिक बयानबाजी चौंकानेवाली है। वो जिस पार्टी को पसंद करते हैं वहां जा सकते हैं। उन्हें मेरी शुभकामनाएं। 

उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को दी नसीहत
इस स्पष्ट और सख्त रुख के साथ नीतीश ने पवन वर्मा के साथ-साथ जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को भी साफ संकेत दे दिया है। बता दें कि नीतीश कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा। इसके बाद भी पार्टी महासचिव पवन वर्मा और उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर इस मसले पर लगातार बयानबाजी कर पार्टी और गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा रहे थे। हाल ही में सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को पत्र लिखा था। जिसके बाद से यह संभावना जताई जा रही थी कि उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। 

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प्रशांत की बयानबाजी अनुशासनहीनताः वशिष्ठ
नीतीश कुमार ने साफ किया कि जेडीयू का हर मुद्दे पर नजरिया साफ होता है। इसे नेताओं को समझने की जरूरत है। यदि किसी के मन में कोई बात है तो उसे पार्टी की बैठकों में रखना चाहिए। नीतीश के इस सख्त कदम से एक दिन पहले पार्टी के बिहार अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी प्रशांत किशोर की बयानबाजी को अनुशासनहीनता माना था। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा था कि वो इस मसले पर मुख्यमंत्री से बात करेंगे। बता दें कि प्रशांत किशोर ने ट्विट करते हुए लिखा था कि यदि आप नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध की परवाह नहीं करते, तो फिर आगे बढ़ कर इसे लागू करने की कोशिश क्यों नहीं करते।     

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