अब कोरोना से आईजी विनोद कुमार की मौत, दो दिन पहले पंचायती राज मंत्री की गई थी जान

बिहार में कोरोना से पहली बार पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी की मौत हुई है। अधिकारियों के मुताबिक 16 अक्टूबर को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद आईजी विनोद कुमार को पटना एम्स में भर्ती कराया गया थे। जहां शनिवार रात 11 बजे उनकी मौत हो गई।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2020 5:11 AM IST / Updated: Oct 18 2020, 10:49 AM IST

पटना (Bihar ) । पूर्णिया जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। कोरोना से संक्रमित आईजी विनोद कुमार (IG Vinod Kumar ) की मौत हो गई है। वे पटना एम्स में भर्ती थे। वह 20 अगस्त 2019 को पूर्णिया रेंज के आईजी बने थे और 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। बता दें कि इसके दो दिन पहले पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत (Minister Kapil Dev Kamat) की भी मौत कोरोना से संक्रमित होने की वजह से ही हुई थी। 

पहले पुलिस अधिकारी की मौत
बिहार में कोरोना से पहली बार पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी की मौत हुई है। अधिकारियों के मुताबिक 16 अक्टूबर को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद आईजी विनोद कुमार को पटना एम्स में भर्ती कराया गया थे। जहां शनिवार रात 11 बजे उनकी मौत हो गई।

कोरोना के सामने आए 1,173 नए मामले 
बिहार में शनिवार को कोरोना संक्रमण के 1,173 नए मामले सामने आए। इस तरह कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,03,060 हो गई। जबकि राज्य में मृतक संख्या 990 है। हालांकि बिहार में अबतक कुल 90.15 लाख नमूनों की जांच की गई है, जिनमें संक्रमित पाए गए 1,91,515 मरीज ठीक हुए हैं। बिहार में वर्तमान में कोविड-19 के उपचाराधीन मामलों की संख्या 10,554 है और मरीजों के ठीक होने की दर 94.31 प्रतिशत है।

पंचायती राज मंत्री की भी गई थी कोरोना से जान
पटना एम्स में भर्ती बिहार के पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत की भी गुरुवार की देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई थी। वे 70 वर्ष के थे। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें एक अक्टूबर को गंभीर हालत में एम्स में भर्ती कराया गया था। पिछले सात दिनों से उनकी हालत ठीक नहीं चल रही थी।

चार दिन पहले मंत्री विनोद कुमार सिंह की हुई थी मौत 
चार दिन पहले भाजपा नेता एवं पिछड़ा-अतिपिछड़ा कल्याण मंत्री विनोद कुमार सिंह की गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। वे दो बार कोरोना से संक्रमित हुए थे। कोरोना से मुक्त होने के बाद उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके इलाज के लिए वे मेदांता गुरुग्राम गए थे। वहां जाने पर भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। अंतत: उनकी जान चली गई। 

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