
पटना: बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने मंगलवार, 26 जुलाई को कहा कि डब्ल्यूएचओ की तरफ से मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट किया गया है। बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग पहले से ही सारी जानकारियों को इकट्ठा कर रहा था। आज उच्च स्तरीय बैठक हुई। जिसमें बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव सहित सभी मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी और सभी जिलों के सिविल सर्जन मेडिकल कॉलेज से सुपरिटेंडेंट जुड़े।
बरती जाएगी पूरी सतर्कता
उच्च स्तरीय बैठक में कहा गया है कि, मंकीपॉक्स के दौरान सतर्कता रखना है। यदि कोई जानकारी कहां से मिलती है किसी चिकित्सक के द्वारा या अन्य स्रोतों से तो तुरंत उस मरीज तक पहुंचना और उसको चिकित्सकों से दिखवाना और उसकी जांच करवाने का निर्देश दिया। उन्होने बताया कि बिहार स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। यदि ऐसा कोई सैंपल आता है तो उनको बायोलॉजी लैब पुणे में भेजा जाएगा।
सिविल सर्जन को दिया गया निर्देश, भारत में मामलें
बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव सहित सभी मुख्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रखंड स्तर के जो चिकित्सा पदाधिकारी हैं। उन सभी को सारी जानकारियां साझा की जाए और उन सभी बातों के बारे में सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को बताया जाए ताकि ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में भी कहीं इस तरीके की कोई शिकायत ना मिले। भारत में मंकीपॉक्स के 4 मामले सामने आने के बाद लोगों के बीच डर का माहौल बना हुआ है. केरल और दिल्ली के बाद अब तेलंगाना में भी मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला है।
मंकीपॉक्स के क्या हैं लक्षण
मंकीपॉक्स से संक्रमित रोगी के शरीर में चकत्ते, बुखार, सुस्ती, सिरदर्द और लिम्फ नोड्स की सूजन जैसे लक्षण पाए गए हैं. WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स चेचक की तरह संक्रामक नहीं है और इससे गंभीर बीमारी नहीं होती है. वायरस से संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक की अवधि 6 से 13 दिनों तक होती है. हालांकि, यह कभी-कभी 5 से 21 दिनों के बीच भी हो सकता है. इसके लक्षण 2- 4 हफ्ते तक भी रह सकते हैं. त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार आने के एक से तीन दिनों के बाद होता है. चेहरे और शरीर के दूसरे अंगों पर चकत्ते अधिक दिखाई देते हैं. चकत्ते चेहरे को प्रभावित कर सकते हैं. 75 फीसदी मामलों में यह हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों को प्रभावित करते हैं.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकता है. यह वायरस दूषित सामग्री से भी फैल सकता है. संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थ, घाव, सांस की बूंदों और बिस्तर जैसी सामग्री के निकट संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स वायरस फैल सकता है. जानवरों से इंसान में वायरस का संचरण संक्रमित जानवर के ब्लड, शारीरिक तरल पदार्थ, या जख्मों के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है. गिलहरी, और बंदरों की कई प्रजातियों सहित कई जानवर इस वायरस से संक्रमित मिले हैं. स्टडी में ये भी पता चला है कि करीब 95 फीसदी लोग यौन संबंधों के दौरान एक दूसरे से संक्रमित हुए.
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