शराब से जुड़े केस कि जल्द सुनवाई के लिए बिहार सरकार की मांग को कोर्ट ने माना, 55 नए जज किए जाएंगे नियुक्त

बिहार में शराबवंदी कानून साल 2016 से लागू है जिसके तहत शराब पाए जाने पर सजा का प्रावधान है। इन्ही केसों में पैडिंग पड़े मामलों के निपटारे के लिए राज्य सरकार ने स्पेशल कोर्ट के गठन करने की मांग की थी जिसे मान लिया गया है।

पटना: बिहार सरकार ने शराबबंदी कानूनों के उल्लंघन मामले में तेजी से आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पूरे राज्य में 74 स्पेशल कोर्ट के गठन का बीते दिनों निर्णय करते हुए हाई कोर्ट से अनुमति मांगी गई। हाई कोर्ट महानिबंधक की अनुशंसा पर अब 55 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 के तहत विशेष उत्पाद न्यायालयों में जज बना दिया गया है। वर्तमान समय में पटना न्याय मंडल में उत्पाद अधिनियम के मामलों की सुनवाई के लिए गठित 4 विशेष अदालतें विभिन्न मंडलों में कार्यरत है। इससे पहले केवल पटना सिविल कोर्ट स्थित सदर अनुमंडल में एक ही विशेष अदालत हुआ करते थी। जिसमें लगभग 45000 मामले लंबित थे। लेकिन वर्तमान में क्षेत्राधिकार के आधार पर मामलों का स्थानांतरण होने के बावजूद भी पटना सदर अनुमंडल में लगभग 11000 मामले लंबित है। 

इन जजों के द्वारा होगी कोर्ट में सुनवाई

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पटना में एडीजे ओम सागर विशेष उत्पाद न्यायालय पटना के पीठासीन होंगे। इसके साथ ही पटना सिटी के एडीजे बृजेंद्र कुमार राय उत्पाद कोर्ट के जज होंगे। एडीजे बाढ़ बलजिंदर पाल विशेष उत्पाद न्यायालय बाढ़ के जज बनाए गए हैं। दानापुर में संतोष कुमार पांडेय विशेष उत्पाद न्यायालय दानापुर के जज होंगे।

कानूनों का उल्लंघन करने वालों को दिया जाएगा कड़ा संदेश

दरअसल शराबबंदी को लेकर, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की समीक्षा बैठकों में लगातार यह बात सामने आ रही है की शराबबंदी से जुड़े मुकदमे में धीमी बरतने से दोषियों को सजा देने में देरी हो रही है। स्पेशल कोर्ट के द्वारा काम नहीं किए जाने की वजह से उसका असर वकीलों पर भी पड़ रहा है। आपको बता दें कि पिछले दिनों उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय ने विधि विधान से गया के 4 पीपी पर कार्यवाही की अनुशंसा की थी। अब 55 स्पेशल कोर्ट से इसके निपटारे में तेजी आएगी। इसके साथ ही अब सुनवाई भी जल्द की जाएगी। जिसका सीधा संदेश शराबबंदी कानूनों के उल्लंघन करने वालों को दी जाएगी। हालांकि नए उत्पाद अधिनियम के नए संशोधन के बाद जुर्माना अदा कर मामलों का निष्पादन किया जाने की व्यवस्था लागू होने के बाद मामलों का निष्पादन तेजी से होने लगा है।

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