बिहार फुलवारी शरीफ मामलाः NIA ने दर्ज किए दो केस, अपराधियों के निशाने पर थी प्रधानमंत्री की सभा

बिहार में फुलवारी शरीफ मामलें में 22 जुलाई से केस अपने हाथ में लेने के बाद जांच करते हुए एनआईए ने आरोपियों के खिलाफ दो केस दर्ज किए है। जिनमें से पहला है प्रधानमंत्री की सभा में अड़चना डालना तो दूसरा देश विरोधी गतिविधियां चलाना। 

पटना: बिहार के फुलवारी शरीफ आतंकि मॉड्यूल मामले में एनआईए ने दो अलग-अलग केस दर्ज किए हैं। एक केस में कहा गया है कि आतंकि मॉड्यूल के संदिग्ध आतंकियों ने प्राधानमंत्री की 12 जुलाई की बिहार यात्रा को बाधित करने की साजिश रची थी। पीएम के प्रस्तावित दौरे में गड़बड़ी फैलाने की योजना से फुलवारीशरीफ में कुछ संदिग्ध 11 जुलाई को जुटे थे। इस मामले में कुल 26 लोगों के नाम का जिक्र है। जबकि दूसरे केस  कथित तौर पर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त मरगूब अहमद दानिश उर्फ ताहिर को लेकर दर्ज किया गया है। इसमें कहा गया है कि पुलिस ने उसे इंटरसेप्ट किया था। वह कथित तौर पर कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए देश विरोधी गतिविधियों में शामिल था। एनआईए ने दोनों केस 22 जुलाई को दर्ज किया। 

विशेष अदालत को सौंपे मूल दस्तावेज
फुलवारी शरीफ थाना में दर्ज दोनों मामलों के मूल अभिलेख निचली अदालत ने शुक्रवार को एनआईए की विशेष अदालत को सौंप दिया। एनआईए के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत से जारी मांग पत्र के आलोक में अपर मुख्य दंडाधिकारी अरविंद कुमार सिंह की अदालन ने फुलवारी थाना कांड संख्या 827-2022 और 840-2022 से संबंधित मूल अभिलेखों को विशेष अदालत को सौंप दिया। इसके पूर्व एनआईए ने दोनों प्राथमिकियों के आधार पर आरसी कांड संख्या 31-2022 और 32-2022, 22 जुलाई 2022 को दर्ज कर अपनी प्राथमिकी विशेष अदालत को सौंपी थी। 

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एनआई ने फुलवारी शरीफ मामले में कई स्थानों पर की थी छापेमारी
बीतें दिनों एनआईए ने फुलवारीशरीफ मामले में बिहार के कई स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान डिजिटल उपकरण और विभिन्न आपत्तीजनक दस्तावेतों को जब्त किया था। सूत्रों के अनुसार एनआईए ने आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ पटना सहित पांच जिलों में आरोपियों और संदिग्धों के 10 ठिकानों पर छापेमारी की। पटना, दरभंगा, पूर्वीं चंपारण, नालंदा और मधुबनी में छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज जब्त किए थे। इसमें कईयों को गिरफ्तार भी किया गया। पहले इस मामले को पटना पुलिस और एटीएस की टीम ने जांच की थी। इस षड़यंत्र के तार कई देसों से जुड़े होने के साक्ष्य मिलने के बाद एनआईए ने 22 जुलाई को जांच की जिम्मेवारी अपने हाथ में ली थी।

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