बिहार का शॉकिंग मामला: पहाड़-तालाब और श्‍मशान तक अपने नाम करा बैठे लोग, मंत्री से कलेक्टर तक ने पकड़ लिया माथा

बिहार में इन दिनों भूमि सर्वेक्षण का काम जारी है। जब से अधिकारियों ने ये काम शुरू किया है। उनके तो होश ही उड़ते जा रहे है। जानकारी में सामने आया की अतिक्रमण जमीन से उठकर अब तो पहाड़ों, तालाबों और यहां तक कि श्मशान की जमीनों तक हो गया है।

पटना. जिस बिहार को चारा घोटाले जैसे मामले से आज भी याद किया जाता है, उस बिहार में और भी अजीबोगरीब भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे है। दरअसल यहां भूमि अतिक्रमण का मामला सामने आया है।  यहां लोगों ने सरकारी जमीन पर निजी सम्पत्ति की तरह कब्जा कर उसके पट्टे बनवाकर बैठे हुए है। लोगों ने गैर मजरूआ जमीन  तो ठीक उसके अलावा पहाड़ों तालाबों यहां तक की श्मशान की जमीन को भी अपने नाम कर ली है। और इन सबमें अंचल के सरकारी अधिकारियों की मिली भगत से यह सब किया जा रहा है वह भी  कागजी रूप से। यह सारी जानकारी प्रदेश में चल रहे भूमी सर्वें में बाहर आई है। मामला सामने आने के बाद बिहार के राजस्व मंत्री ने कार्यवाही का भरोसा दिलाया है।

जमीन तो जमीन पहाड़ों को भी नही छोड़ा
प्रदेश में जारी लैंड सर्वे में सामने आया है कि शेखपुरा बाजार के पास एक पहाड़ को पूरी कागजी कार्यवाही के सात बालमुंकुंद नाम के व्यक्ति ने अपने नाम करा लिया है। कारे पंचायत स्थित इस पहाड़ के नामे होने का पर्चा भी उसके पास मौजूद है। इसके साथ ही हैरानी की बात यह है कि लोगों ने गैर- मजरूआ की कैटेगरी में आने वाली कब्रस्तान की जमीन पर भी लोगों का कब्जा है।

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इन जगहों के तालाबों और श्मशान पर है लोगों का कब्जा
भूमि सर्वे में सामने आया है कि शेखपुरा के जखराज में स्थित श्मशान की जमीन के बड़े एरिया को किसी व्यक्ति द्वारा अपने नाम करा लिया है, वहीं मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में भी इसी तरह का मामला सामने आया है। इसके अलावा तालाबों के केस में भी इसी तरह के मामले सामने आए है। जहां मधुबनी, लखीसराय एवं दरभंगा  में  लोगों ने सार्वजनिक तालाब को अपनी सम्पत्ति बना ली है। वहीं सीवान के महाराजगंज के दरौंदा रेलवे स्टेशन के पास भी तालाब को एक व्यक्ति द्वारा अपने नाम करा लिया है। सारण में कब्जे की हद ही हो गई वहां टोपोलैंड में कब्जा करने के बाद कालोनी तक काट दी गई है।

अधिकारी, कर्मचारियों व देखरेख वाले कर रहे खेल, हजार से ज्यादा केस सामने आए
भूमि सर्वेक्षण में यह हैरान करने वाली सच्चाई बाहर आई है। इसके बाद शुरुआती जांच में इतना पता चला है कि अंचल के कर्मचारियों अधिकारियों व जमीन की देखरेख करने वाली ग्राम सभा या कमेटी के सदस्यों के द्वारा इस तरह के अपराध को अंजाम दिया जा रहा है, क्योंकि सरकारी सम्पत्ति या गैर मजरूआ( श्मशान और क्रब्रिस्तान) की देखरेख की जिम्मेदारी इन्हीं लोगों की रहती है। लैंड सर्वे के बाद पब्लिक और गवर्नमेंट रियल एस्टेट में अतिक्रमण के अभी तक हजार से ज्यादा मामले संज्ञान मे आ चुके है। हालाकि सरकार के पास लैंड के अवैध पोजेशन के पर्याप्त आकड़े नहीं है, परंतु फिर भी इसमे जांच करते हुए आकड़े एकत्रित किए जा रहे है।

भू राजस्व मंत्री बोले- होगी कड़ी कार्यवाही
मामला उजागर होने के बाद बिहार के भूमि सुधार व राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि एक बार भूमि का सर्वे पूरा होने के बाद इस मामले में सख्त कार्यवाही की जाएगी, इसके साथ ही जिन पब्लिक व सरकारी जमीन पर इस तरह का अवैध पट्टा जारी किया है उन्हें कानूनी रूप से मुक्त कराया जाएगा।

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