अफीम एक मादक पद्वार्थ है। भारत में इसकी खेती करना, इसका सेवन करना, बेचना या इससे जुड़ी किसी भी प्रकार के कारोबार में संलिप्त होना दंडनीय अपराध है। इसके बाद भी कई स्थलों पर चोरी-छिपे अफीम की खेती की जाती है।
जमुई। आम तौर पर माना जाता है कि अफगानिस्तान में अफीम की खेती है। वहां के लोग पैसे की लालच में अफीम उगाते है। लेकिन केवल अफगानिस्तान ही नहीं अफीम की खेती भारत में भी कई जगहों पर चोरी-छिपे होती है। बुधवार को बिहार पुलिस और सीआरपीएफ टीम के संयुक्त नेतृत्व में करीब तीन एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया। प्रतिबंध के बाद भी अफीम की ये खेती बिहार के जमुई जिले में हो रही थी। जिसकी सूचना मिलने पर पुलिस ने ये कार्रवाई की।
बिहार-झारखंड की सीमा से सटा है गांव
जमुई के चकाई थाना क्षेत्र के बोंगी खूंटीटांड में करीब तीन एकड़ में अफीम की खेती की जा रही थी। झाझा डीएसपी भास्कर रंजन ने बताया कि बिहार-झारखंड की सीमा से सटे अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र गांव में बड़े पैमाने पर अफीम के फसल लगाने की सूचना मिलने के बाद खूंटीटांड पुलिस ने उस स्थल पर पहुंच कर खेत में लगे सभी फसल को नष्ट करना शुरू कर दिया। इस अभियान का नेतृत्व डीएसपी भास्कर रंजन कर रहे थे, जिसमें सीआरपीएफ, थानाध्यक्ष राजीव कुमार के अलावे बड़ी संख्या में सीआरपीएफ जावन शामिल थे।
दो करोड़ रुपए बताई जा रही संभावित कीमत
बताया जाता है कि नष्ट किये गए तीन एकड़ में लगे अफीम की कीमत करीब दो करोड़ रुपए रही होगी। बता दें जुमई जिला नक्सल प्रभावित है। यहां झारखंड की सीमा से लगा जंगली और पहाड़ी क्षेत्र है। जिसमें नक्सली के साथ-साथ अपराधी विभिन्न गलत कार्यों को अंजाम देते है। इन इलाकों के बारे में कहा जाता है कि यहां अब भी जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति है। हाल ही में जमुई के जंगली इलाके में मुंगेर के डीआईजी समेत अन्य अधिकारियों को नक्सलियों ने ट्रैस करने की कोशिश की थी।