पीके ने दावा किया कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जो जद (यू) के सांसद हैं, ने न तो अपने पद से इस्तीफा दिया और न ही पार्टी से। नीतीश कुमार एनडीए से बाहर हैं या उनका मोह बीजेपी से भंग हो चुका है। वह बातचीत का एक रास्ता इसीलिए छोड़े हुए हैं।
Prashant Kishore slams Nitish Kumar: बिहार की राजनीति में एक ध्रुव बनाने में जुटे प्रशांत किशोर ने फिर से राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चैलेंज किया है। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर बीजेपी या एनडीए के प्रति सॉफ्ट कार्नर रखने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का यदि वाकई में बीजेपी/एनडीए से कोई लेना-देना नहीं है तो राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को पद छोड़ने के लिए कहें। बता दें कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जद (यू) के सांसद हैं।
पीके बोले-नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं किया जा सकता
बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के राष्ट्रीय राजनीति में उतरने पर तंज कसते हुए कहा कि बहुत से लोग खुश हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ एक बड़ा राष्ट्रव्यापी गठबंधन बना रहे हैं, लेकिन इस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। वीडियो जारी कर पीके ने कहा कि जहां तक मुझे पता है नीतीश कुमार निश्चित रूप से महागठबंधन के साथ हैं लेकिन उन्होंने भाजपा के साथ अपने चैनल बंद नहीं किए हैं। पीके ने दावा किया कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जो जद (यू) के सांसद हैं, ने न तो अपने पद से इस्तीफा दिया और न ही पार्टी से। न ही उनसे ऐसा करने के लिए कहा या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि नीतीश कुमार एनडीए से बाहर हैं या उनका मोह बीजेपी से भंग हो चुका है। वह बातचीत का एक रास्ता इसीलिए छोड़े हुए हैं।
एक दिन पहले ही नीतीश कुमार पर साधा था निशाना
प्रशांत किशोर ने एक दिन पहले शुक्रवार को भी नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार 17 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इन 17 सालों में वह 14 साल तो बीजेपी के सहयोग से सीएम बने रहे।
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके हैं पीके
प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में रह चुके हैं। नीतीश कुमार ने उनको पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। लेकिन 2020 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पीके को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इसके बाद प्रशांत किशोर, अन्य पार्टियों के साथ अपने इलेक्शन प्रोजेक्ट में बिजी रहे। लेकिन पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद वह फिर से बिहार में कदम रखे हैं। वह बिहार की राजनीति को बदलने के लिए सुराज अभियान चला रहे हैं। इस अभियान के तहत वह बिहार को अगले दस सालों में देश के टॉप टेन राज्यों में शामिल कराने की रणनीति पर बात कर रहे हैं।
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