
दरभंगा। एनआरसी और एनपीआर सर्वे के शक में प्रधानमंत्री आवास योजना का सर्वे करने पहुंची टीम को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया। मामला बिहार के दरभंगा जिले का है। जहां निजी कंपनी के 13 रिसर्चरों को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया। टीम में चार महिला और 9 पुरुष शामिल थे। भारी हंमामे के बीच पुलिस को सूचना दी गई। जिसके बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने उग्र ग्रामीणों को समझाते हुए बंधक बनाई गई टीम को उनके कब्जे से मुक्त कराया। पुलिस ने अपनी सुरक्षा में रिसर्च टीम को थाने गांव से बाहर निकाला। इस दौरान कहा जा रहा था कि पुलिस यदि आने में देर करती तो हंगामा और बड़ा हो सकता था।
पुलिस के पहुंचने पर आई जान में जान
मामला दरभंगा के जमालपुर थाना क्षेत्र के झगरुआ गांव की है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों के जीवन में आए बदलाव पर शोध करने के लिए टीम गांव में पहुंची थी। लेकिन ग्रामीणों में यह अफवाह फैल गई कि ये सभी लोग एनसीआर और एनआरपी का डाटा लेने के लिए पहुंचे है। इसके बाद ग्रामीणों ने पूरी टीम को बंधक बना लिया और उनपर सवालों की झड़ी लगा दी। लोगों से घिरने के बाद शोध के लिए पहुंचे लोगों की हालत खराब हो गई। इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों के कब्जे से शोध दल में शामिल लोगों को मुक्त कराया।
अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र से रिसर्च करना खतरनाक
उल्लेखनीय हो कि 16 जनवरी को दरभंगा में ही आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं का मूड जानने पहुंची टीम को लोगों ने बंधक बना कर हंगामा करना शुरू कर दिया है। ऐसी ही एक घटना राजस्थान से भी सामने आई थी। ऐसे में एनआरसी, सीएए और एनआरपी पर जारी गतिरोध के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में शोध के लिए पहुंचने वाले लोगों की जान खतरे में है। खासकर अल्पसंख्यक बहुल गांव में लोगों को बंधक बनाया जा रहा है। ऐसे में थोड़ी सी भी आसावधानी पर लोग हमलावर हो जा रहे हैं।
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