बिहार में बुराड़ी जैसी घटना : फंदे से लटकटे मिले परिवार के 5 सदस्य, आखिर क्या है समस्तीपुर के सुसाइड का सच

परिवार के मुखिया ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पड़ोसियों ने बताया कि उस वक्त उन्होंने अपनी बड़ी बेटी की शादी के लिए कर्ज लिए थे लेकिन जब उसे चुका नहीं पाए तो आत्महत्या कर ली। हाल ही में उनके बेटे ने मंदिर में अपनी बहन की शादी की थी।

Asianet News Hindi | Published : Jun 5, 2022 8:58 AM IST / Updated: Jun 05 2022, 02:39 PM IST

समस्तीपुर : बिहार (Bihar) के समस्तीपुर (Samastipur) में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ही परिवार के पांच सदस्यों की लाश घर के अंदर फंदे से लटकते मिले। अभी तक मौत के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है। कई लोग इसे खुदकुशी बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि यह हत्या भी हो सकती है। मामला विद्यापति नगर थाना क्षेत्र के मऊ धनेशपुर दक्षिणी गांव का है। पांच मई की सुबह जब आसपास के लोगों ने घर के अंदर झांका तो सन्न रह गए। पुलिस को तत्काल इसकी सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने पांचों शवों को नीचे उतरवाया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।

कर्ज में डूबा था परिवार
आसपास के लोगों का कहना है कि परिवार कर्ज में डूबा था। मरने वाले में 42 साल के मनोज झा, जो की परिवार का मुखिया भी थे। उनकी 38 साल की पत्नी सुंदरमणी देवी, 65 साल की मां सीता देवी और 10 साल का बेटा सत्यम और 7 साल का बेटा शिवम हैं। कुछ लोगों का कहना है कि कर्ज की वजह से यह सामूहिक आत्महत्या की गई है तो कुछ लोग इसे हत्या बता इसकी जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले और आरोपियों की गिरफ्तारी करे।

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पिता ने भी कर्ज के चलते दी थी जान
लोगों का कहना है कि परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। इसी के चलते मनोज ने एक समूह से कर्ज ले रखा था। लेकिन जब पैसे वापस नहीं दे पाया तो आत्महत्या कर ली। मृतक मनोज झा के पिता ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। तबउन्होंने अपनी बड़ी बेटी की शादी के लिए कर्ज लिए थे लेकिन जब कर्ज नहीं चुका सके तो खुद को ही खत्म कर लिया था।

क्या है बुराड़ी घटना, जिससे हो रही इसकी तुलना
बुराड़ी में हुई घटना ने देश को दहला दिया था। दिल्‍ली के बुराड़ी में एक जुलाई 2018 को एक ही घर में 11 लोगों ने फांसी लगा ली थी।  पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 10 सदस्यों की मौत फांसी के चलते हुई, जबकि 11वीं सदस्य जो सबसे वरिष्ठ भी थीं नारायणी देवी का शव जमीन पर पड़ा मिला था। फांसी से मरने वालों के शरीर पर  किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं थे, लेकिन उनमें से कुछ की गर्दन टूट गई थी। यही नहीं, उनकी आंखों पर पट्टी थी और हाथ-पैर भी बंधे हुए थे। तब इस घटना ने सभी को अंदर तक हिला दिया था। 

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