बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन पर जन सुराज अभियान के तहत मीडिया से रूबरू हुए प्रशांत किशोर ने नई महागठबंधन सरकार पर जमकर निशान साधा है। उन्होंने कहा इसमें फिर बड़ा उलटफेर हो सकता है। साथ ही प्रदेश सीएम को लेकर भी यही बात कही।
पटना (बिहार). बिहार में जन सुराज अभियान के तहत समस्तीपुर पहुंचे प्रशांत किशोर ने नई नवेली महागठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा है। पीके ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि बिहार में चुनाव से पहले फिर बड़ा उलटफेर हो सकता है। उन्होंने कहां की मौजूदा सरकार अगर अगले 2 साल में 10 लाख नौकरियां दे देती है तो मै समर्थन में अपना अभियान वापस ले लूंगा। उन्होंने कहा कि जो नियोजित शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें तो समय पर तनख्वाह दे नहीं पा रही ये सरकार और नई नौकरियां कहां से दे पाएगी।
नीतीश कुमार कुर्सी से नही उठने वाले
प्रशांत किशोर ने कहा, 'अभी हमको आए हुए 3 महीने ही हुए और बिहार की राजनीति 180 डिग्री घूम गई। अगला विधानसभा चुनाव आते-आते अभी कई बार बिहार की राजनीति घूमेगी। नीतीश कुमार फेवीकॉल लगाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए हैं और बाकी की पार्टियां कभी इधर तो कभी उधर होती रहती है।'
'ये सरकार जुगाड़ पर चल रही है'
जनता ने इस सरकार को वोट नहीं दिया था। ये सरकार जुगाड़ पर चल रही है, इसे जनता का विश्वास प्राप्त नहीं है।" उन्होंने 2005 से 2010 के बीच एनडीए सरकार के काम की प्रशंसा भी की। इससे पहले हाल ही में बिहार में नीतीश कुमार के पालाबदल पर प्रशांत किशोर ने अहम टिप्पणी की थी, प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार ने 10 सालों में यह छठा प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि इससे उनकी राजनीतिक स्थिति पर भी असर होगा,उन्होंने कहा कि यह संभावनाओं की भी बात है ऐसा नहीं है कि उनका नुकसान नहीं हुआ है, 115 विधायकों वाली पार्टी अब 43 पर आ गई है।
प्रशांत किशोर भी राजनीति में उतरने की कर रहे तैयारी
बिहार में जेडीयू और भाजपा की राहें अलग होने के बाद पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने महागठबंधन की सरकार में आठवीं बार बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ली। वहीं, दूसरी ओर चुनावी रणनीतिकार और नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) भी सक्रिय राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पीके इन दिनों अपनी पार्टी खड़ी करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। मई 2022 में शुरू किए गए ‘जन सुराज’ यात्रा के जरिए पीके ने अपनी पार्टी को आकार देना शुरू कर दिया है। उनका दावा है कि वह बिहार को एक ऐसा राजनीतिक विकल्प देने का प्रयास कर रहे हैं जो जाति की राजनीति से ऊपर बिहार के पिछड़ेपन के पीछे के मूल मुद्दों तक पहुंच सके।