सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का लाख दावा कर लें लेकिन बीच-बीच में सरकारी दावों की पोल खोलने वाली घटनाएं हो ही जाती है। ताजा मामला बिहार के आरा जिले का है। जहां लाइड गुल होने पर मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज किया गया।
आरा। जिला सदर अस्पताल में मोबाइल की रोशनी में नर्सों ने बीपी की जांच, सुई व दवा देने का काम किया। मिली जानकारी के अनुसार बिजली की मेन सप्लाई का तार टूट जाने के कारण सदर अस्पताल की बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी। अहले सुबह करीब 4 बजे सदर अस्पताल में एक मरीज लेकर सीआरपीएफ की गाड़ी आई थी। सोलर प्लेट पोल में धक्का लग गया था। पोल में धक्का लगने के कारण मेन सप्लाई का तार टूटने की वजह से बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी। कई वार्ड ऐसे थे जहां अंधेरा चारों तरफ से कायम था। मरीज बगल के सीट पर बैठे लोगों को नहीं देख पा रहे थे। जिसके कारण अंधेरे से बाहर निकलकर डॉक्टरों ने मरीजों को देखा। 3 घंटे बाद करीब 2 बजे टूटे तार को ठीक किया गया। इसके बाद बिजली सप्लाई शुरू हुयी। तब जाकर मरीजों का पहले की तरह से इलाज होने लगा।
इमरजेंसी के मरीज को देखा गया कैंपस में
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर कैंपस में डॉ आरएन यादव ने 300 से ज्यादा मरीजों के स्वास्थ्य की जांच की। उन्हें दवा लिखा। बिजली व्यवस्था चरमराने के कारण ओपीडी के वार्ड नंबर 2 में पहुंचे मरीज तथा इमरजेंसी के मरीजों का इलाज किया। उन्हें दवा लिखा जिस मरीज को ज्यादा जरूरत था। उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ही तत्काल इलाज कराया गया। डॉ आरएन यादव ने बताया कि कुछ देर के लिए बिजली व्यवस्था बाधित थी। कई दिनों बाद थोड़ी सी धूप निकली थी।
इस कारण चरमराई थी बिजली व्यवस्था
सदर अस्पताल में जख्मी हेड कांस्टेबल सुरेंद्र को सीआरपीएफ के अधिकारी इलाज के लिए लेकर सोमवार की अहले सुबह 4 से 5 बजे कोइलवर से लेकर सदर अस्पताल पहुंचे थे।जैसे ही अस्पताल के एसीएमओ ऑफिस के सामने गाड़ी इमरजेंसी की ओर जाने के लिए मुड़ी।वहां लगाए गए सोलर प्लेट के पोल में धक्का लग गया। जिसके कारण सोलर प्लेट भी क्षतिग्रस्त हो गया। बिजली सप्लाई का मेन तार टूट गया। इसके बाद उसी वक्त कुछ वार्डों में बिजली सप्लाई बाधित हो गयी। करीब 11 बजे अचानक से तार बनाने के लिए पहुंचे मिस्त्री ने काम शुरू किया। उस वक्त बिजली अवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी।
मोबाइल की रोशनी में हुई बीपी की जांच
सोमवार की दोपहर अचानक से पूरे सदर अस्पताल में बिजली गुल होने की परेशानी सबसे इमरजेंसी में काम करने वाली नर्स एवं कर्मियों को उठानी पड़ी। लाइट के प्रॉब्लम के चलते टॉर्च की रोशनी में किसी मरीज के बीपी की जांच की जा रही थी तो किसी मरीज को सुई देने के लिए नस को ढूंढा जा रहा था। नर्स अपनी तरफ से काफी प्रयास कर रही थी कि मरीज जो इलाज के लिए आए हैं उनकी समस्या का निवारण हो सके। इस कार्य में उन्हें काफी वक्त लग रहा था। अपने साथ लाए गए मोबाइल की हल्की रोशनी में मरीजों का इलाज चल रहा था।इस दौरान सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ सतीश कुमार सिन्हा खुद वहां पहुंचकर बेहतर इलाज के लिए दिशा निर्देश कर्मियों को देते रहे।