बिहारः गोपालगंज की मस्जिद में हिंदू लड़के की बलि देने की वायरल खबर की सच्चाई

जस्टिस फॉर रोहित जायसवाल हैशटैग के साथ बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर बिहार के गोपालगंज जिले के एक मर्डर केस की कहानी वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि इस रोहित जायसवाल नामक लड़के की मस्जिद में बलि दे दी गई। यहां जानिए क्या है इस मामले की पूरी सच्चाई। 

Asianet News Hindi | Published : May 16, 2020 4:45 AM IST / Updated: May 16 2020, 11:04 AM IST

गोपालगंज। बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रही है। वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि बिहार के गोपालगंज में एक मस्जिद में हिंदू लड़के की बलि दी गई। मृतक का नाम रोहित जायसवाल है। वायरल हो रहे मैसेज में रोहित के माता-पिता के साथ-साथ बहन की तस्वीर भी वायरल हो रही है। साथ ही रोहित के पिता राजेश जायसवाल का एक वीडियो क्लिप भी वायरल हो रहा है। जिसमें वो पूरे परिवार के साथ गांव छोड़ कर जाने की बात कर रहा है। वीडियो क्लिप में राजेश यह बताता है कि मेरे बेटे की हत्या कर दी गई। थाने पर मामले में क्या हुआ, क्या नहीं हुआ की जानकारी लेने गए तो मुझे ही उल्टा मारने लगा। वीडियो क्लिप में राजेश यह भी बताता है कि विपक्षी पक्ष हमलोगों को पूरे परिवार के मारने की धमकी दे रहा है। 

पड़ताल में फर्जी निकला सोशल मीडिया पर चल रहा दावा 
वायरल हो रहे मैसेज के साथ यह दावा किया जा रहा है कि रोहित जायसवाल की हत्या मस्जिद को शक्तिशाली बनाने के लिए की गई। फेसबुक, ट्विटर के साथ-साथ अन्य सोशल मीडिया पर इस तरह के कई सारे मैसेज वायरल हो रहे हैं। एक दो मीडिया ग्रुप में भी इससे संबंधित खबर प्रकाशित की गई। जिसमें कहा गया कि मस्जिद में हिंदू लड़के की बलि दी गई। हमने इस मामले की पड़ताल की तो मामला कुछ और निकला। रोहित जायसवाल की मौत से जुड़े मैसेज वायरल अब हो रहे हैं, लेकिन यह घटना 28 मार्च 2020 की है। स्थानीय पुलिस के साथ-साथ वरीय अधिकारियों ने भी हत्या के इस मामले में मस्जिद वाली बात का खंडन किया है। 

28 मार्च से लापता था रोहित, 29 को मिला शव 
मामला गोपालगंज जिले के कटैया थाना क्षेत्र के बेलहीडीह गांव का है। 28 मार्च से रोहित गायब था। 29 मार्च को उसका शव पकहा नदी से बरामद हुआ था। मृतक के पिता पकहा नदी के किनारे पकौड़ी की दुकान लगाते थे। जहां दुकान के आस-पास ही रोहित अन्य दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला करता था। 28 को वो गायब हो गया। परिवार ने उसकी खोजबीन की लेकिन पता नहीं चला। परिजन के बयान के अनुसार दोस्तों से पूछा तो जानकारी मिली रोहित की हत्या कर दी गई है। जिसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस की मौजूदगी में गोताखोरों की मदद से रोहित का शव पकहा नदी से निकाला गया। 

छह पर नामजद प्राथमिकी, पांच हुए गिरफ्तार
मामले में राजेश जायसवाल के बयान पर रोहित के छह दोस्तों पर नामजद प्राथमिकी की गई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 5 लड़कों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार हुए पांचों लड़के नाबालिग हैं। उन्हें कोर्ट से बेल मिल चुकी है। मामले का एक आरोपी अभी फरार चल रहा है। उक्त जानकारी गोपालगंज के एसपी मनोज तिवारी ने दी। मनोज तिवारी से साफ कहा कि यह क्राइम का मामला है। लेकिन इसमें हिंदू-मुस्लिम या मस्जिद में बलि देने वाली बात नहीं है। मृतक की मां ने भी बलि देने वाली बात से इंकार किया है। मां का आरोप है कि उसके बेटे की हत्या की गई। हत्यारों में मुस्लिम भी शामिल थे।  

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं मिला जख्म का कोई निशान 
रोहित के शव के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर मारपीट का कोई जख्म नहीं मिला है। शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर अशोक कुमार अकेला ने बताया कि मृतक के पेट और फेफड़े से पानी मिला था। लेकिन बाहरी मारपीट या गला दबाने का कोई निशान नहीं मिला था। आंख और नाक पर खून के निशान मिले थे। लेकिन डूबने के बचने की कोशिश में आंक और नाक पर दबाव पड़ता है। ऐसे में आंख और नाक से खून का निकलना स्वभाविक है। मामले में सारण रेंज के डीआईजी विजय कुमार वर्मा ने बताया कि सीआईडी जांच चल रही है। मस्जिद में बलि देने वाली बात गलत है। इस मामले में भ्रामक खबर प्रसारित करने के आरोप में दो मीडिया ग्रुप पर कटैया थाना क्षेत्र में प्राथमिकी की गई है। 

आरोपी पक्ष बोले- नहाते समय डूबने से हुई मौत 
मामले में जिन बच्चों पर प्राथमिकी की गई है उनके परिजनों का कहना है कि यह हत्या का मामला है ही नहीं। 28 मार्च को पांच बच्चे नदी में नहाने गए थे। उसमें एक डूब गया। डर के मारे अन्य बच्चे भाग कर घर आ गए और बिना किसी को कुछ बताए सो गए। बेलहीडीह गांव के बुज़ुर्ग मो. इदरीस अंसारी कहा कि कोई आदमी मंदिर-मस्जिद में बलि दे सकता है? आपको यक़ीन है? बवाल फैलाने के लिए कुछ लोग ऐसा कह रहे हैं। बता दें कि बेलवाडीह गांव की आबादी करीब 800-900 करीब है। जिसमें 100 से 150 मुस्लिम परिवार है। गांव के अधिकांश लोगों का कहना है कि यहां ऐसा कोई मामला नहीं है। 

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