बिहार में अमित शाह के सामने बिहारियों ने तोड़ा पाकिस्तान का रिकॉर्ड, 5 किमी तक हर हाथ में दिखा तिरंगा

बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर जिले में आज स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव मनाया जा रहा है। जहां हर हाथ में राष्ट्रीय ध्वज दिखाई दिया। यह विजयोत्सव  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुआ।

पटना (बिहार). केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज बिहार के दौरे पर हैं। जहां वह स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर मनाने के लिए भोजपुर जिले के जगदीशपुर पहुंचे। केंद्रीय मंत्री मौजूदगी में बिहार की जनता ने 77 हजार 700 तिरंगे फहराकर पाकिस्तान का रिकॉर्ड तोड़ दिया। करीब  5 मिनट तक झंडा फहराया गया। बता दें कि यह  रिकॉर्ड पहले पाकिस्तान के नाम था। बता दें कि शाह ने इस मौके पर जगदीशपुर में उनकी भव्य स्मारक बनाने का ऐलान किया। साथ ही उन्होंने  कहा कि 1857 के सेनानियों की स्मृति में स्मारक बनाया जाएगा। 

नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद जगदीशपुर पहुंचे अमित शाह
दरअसल, अमित शाह शनिवार सुबह पटना पहुंचे, जहां  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। इसके बाद दोने नेताओं की मुलाकात हुई। बिहार सरकार के मंत्री विधायकों के स्वागत-सत्कार के बाद अमित शाह जगदीशपुर में 1857 के विद्रोह के नायकों में से एक बाबू वीर कुंवर सिंह की याद आयोजित एक उत्सव में शामिल होने के लिए जगदीशपुर के लिए रवाना हुए। बताया जाता है कि बिहार में शाह कई कार्यक्रम में शामिल होंगे।

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हेलिकॉप्टर से देखा 5 किमी तक हर हाथ में दिखा तिरंगा
अमित शाह ने वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर फूल माला डालकर उनको नमन किया। इसके बाद इस कार्यक्रम में पहुंची जनता को शाह ने संबोधित भी किया। उन्होंने कहा-जगदीशपुर की धरती युगपुरुषों की धरती है। मैं इस महानायक की जन्मभूमि को प्रणाम करता हूं। मैं जब हेलिकॉप्टर से यहां आ रहा था तो देखा कि पांच-पांच किमी तक लोगों के हाथ में तिरंगा है। इतना ही नहीं जितने लोग यहां कार्यक्रम में हैं, उससे कहीं ज्यादा लोग तो सड़क पर खड़े होकर भारत माता के जयकारे लगा रहे हैं। अमित शाह ने कहा-58 साल से कई रैलियों में गया, लेकिन ऐसी राष्ट्रभक्ति का ये उफान देखकर मैं नि:शब्द हूं। कभी भी ऐसा भव्य आयोजन नहीं देखा।

बिहारियों ने तोड़ा पाकिस्तान का रिकॉर्ड
इस विजयोत्सव में करीब 2 लाख से ज्यादा लोगों के भाग लिया है। जिन्होंने 77 हजार तिरंगा अपने हाथों में फहराया।  गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम  इसे लेकर जगदीशपुर पहुंची। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए ड्रोन कैमरे से रिकॉर्डिंग भी की गई। इतना ही नहीं जिनके हाथों में  तिरंगा था, उनका फिंगर प्रिंट भी लिया गया। बता दें कि इससे पहले एक साथ 57,500 राष्ट्रीय ध्वज फहराने का वर्ल्ड रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम दर्ज था।

बिहार की राष्ट्रभक्ति देखते ही बनी
बता दें कि बिहार सरकार की तरफ से कुंवर सिंह की स्मृति में उनकी जयंती पर एक भव्य  विजयोत्सव का आयोजन किया। जिसमें गृह मंत्री अमित शाह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस समारोह में राष्ट्रभक्ति देखते ही बनी। हर तरफ हर हाथ में तिंरगा और भारत माता के जयकारे लग रहे थे। बिहार की जनता अपने वीर जांबाज कुंवर सिंह को याद कर उनके जयघोष कर रही थी। इस दौरान तिरंगा फहराने का विश्व कीर्तिमान बनाने की तैयारी भी की गई। इस दौरान अमित शाह की मौजदूगी में करीब 77000 लोगों द्वारा झंडा फहराने का विश्व रिकॉर्ड बनाया।

पूरा जगदीशपुर इलाका राष्ट्रभक्ति में डूब गया
 महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर पूरा जगदीशपुर का इलाका राष्ट्रभक्ति में डूब गया। यहां पहुंचने वाला हर शख्स नेता हो या आम आदमी यहां तक महिलाएं और बच्चे भी  हाथ में तिरंगा लेकर कुंवर सिंह की गाथा गाते दिखे। साथ ही बंदे मातरम और भारत माता के जयकारे लगे। सड़क से लेकर पंडाल तक तिरंगा ही तिरंगा दिखाई दे रहा था। बताया जा रहा है कि लाखों की संख्या में तिरंगा पहुंचे हुए थे। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम को सफल बनान के लिए प्रशासन की कई टीम काफी दिनों से मेहनत कर रही थीं। जो आज सफल हआ।

महानायक के लिए आज का दिन यादगार
बता दें कि 23 अप्रैल ही वह ऐतिहासिक दिन है, जब महानायक बाबू कुंवर सिंह अंग्रेजों को धूल चटाकर कर अपने किले में वापस लौटे थे। उन्होंने बिहार की धरती से अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था।


 

कौन थे बाबू कुंवर सिंह 
1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में जन्मे बाबू कुंवर सिंह 1857 के क्रांतिकारियों में से एक थे। वह मूल रूप से बिहार के जगदीशपुर के रहने वाले थे। बाबू कुंवर सिंह उज्जैनिया परमार क्षत्रिय और मालवा के प्रसिद्ध राजा भोज के वंशज हैं। उन्हीं के वंश में महान चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य भी हुए थे। उन्होंने 80 साल की उम्र में भी अंग्रेजों को धूल चटा दी थी। बताया तो यह तक जाता है कि वह अगर  जवान होते तो अंग्रेज़ों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।

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