तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार अब एक ही गठबंधन में हैं तो दोनों बिहार में चर्चा का विषय बन चुके हैं। क्या दोनों एक साथ मंच साझा करेंगे? साझा करेंगे तो कन्हैया के रुतबे के आगे तेजस्वी की हैसियत क्या होगी?
पटना। बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए आगामी चुनाव को लेकर अभी से पार्टियों और नेताओं में शह-मात का खेल शुरू हो गया है। बसपा जैसी तीसरी पार्टियों से भी टिकट पाने के लिए दिग्गजों में होड़ है। उधर, आरजेडी के नेतृत्व में सीपीआई का महागठबंधन में शामिल होना लगभग निश्चित हो गया है। ये वही पार्टी है जिसके स्टूडेंट विंग से जुड़े रहे कन्हैया कुमार जेएनयू का अध्यक्ष बने थे और बाद में पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा मगर जीत नहीं पाए।
कन्हैया कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की लगातार तुलना होती है। दोनों नेता एक ही गठबंधन में हैं तो दोनों चर्चा का विषय बन चुके हैं। क्या दोनों एक साथ मंच साझा करेंगे? साझा करेंगे तो कन्हैया के रुतबे के आगे तेजस्वी की हैसियत क्या होगी? जेएनयू की राजनीति से कन्हैया ने देशभर में बड़ी पहचान बनाई है। लोकसभा चुनाव में भी बिहार से उनकी सीट सबसे ज्यादा दिलचस्पी में थी और लोग कन्हैया से तेजस्वी को कंपेयर कर रहे थे। जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष आरजेडी के करीब भी दिख रहे थे। मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ आरजेडी ने उम्मीदवार उतार दिया था। कहा गया कि कन्हैया, तेजस्वी से बड़ा चेहरा न बन जाए इसीलिए उनका समर्थन नहीं किया गया जिसका नतीजा उनकी हार के रूप में सामने आया।
फोटो: लालू यादव और तेजस्वी यादव के सतह कन्हैया कुमार (बीच में)
तेजस्वी ही महागठबंधन के नेता
बिहार चुनाव के दौरान कन्हैया का इस्तेमाल स्टार प्रचारक के रूप में महागठबंधन कर सकता है। लेकिन इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि कन्हैया किसी भी तरह से महागठबंधन में तेजस्वी से मजबूत न नजर आएं। संभावना है कि दोनों नेता शायद ही एक साथ कैम्पेन करें। उधर, एनडीए नेता अभी से तेजस्वी और कन्हैया की तुलना करने लगे हैं। लेकिन स्थानीय अखबार "प्रभात खबर" से बातचीत में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने चर्चाओं को खारिज किया है। उन्होंने साफ कहा कि महागठबंधन का नेता सिर्फ तेजस्वी यादव और कोर्डिनेटर लालू यादव हैं। ये चीजें महागठबंधन के दलों ने मिलकर तय की हैं।
फोटो: तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार
नौवीं फेल तेजस्वी से तुलना बेकार
एनडीए नेताओं ने कहा कि सीपीआई की योजना के तहत तेजस्वी की राजनीति खत्म करने के लिए कन्हैया को लाया जा रहा है। बीजेपी नेता निखिल आनंद ने न्यूज 18 बिहार से कहा, "अब या तो तेजस्वी रहेंगे या फिर कन्हैया।" जेडीयू प्रवक्ता ने संजय सिंह ने तो यहां तक कहा, "कन्हैया जेएनयू से पढ़े लिखे हैं। नौंवी फेल तेजस्वी यादव से उनकी तुलना नहीं की जा सकती।"
बसपा के टिकट के लिए मारामारी
बसपा भी बिहार के चुनाव में शामिल होगी। रामगढ़ विधानसभा से पार्टी के टिकट के लिए घमासान दिख रहा है। बीजेपी-आरजेडी के कई दिग्गज हाथी के सिंबल पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। 2015 के चुनाव में रामगढ़ सीट पर बसपा तीसरे नंबर पर थी। आरजेडी से दो बार विधायक रहे अंबिका यादव बसपा का टिकट चाहते हैं। प्रमोद कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह, धर्मेंद्र गुप्ता भी दावेदारों में हैं। रेस में सबसे आगे बताए जा रहे अंबिका यादव ने छह महीने पहले ही आरजेडी छोड़कर बसपा का दामन थामा था। सिर्फ रामगढ़ और बसपा ही नहीं दूसरी सीटों और पार्टियों में भी कमोबेश यही हाल है। एक-एक सीट पर कई दावेदार हैं। कुछ तो एनडीए-महागठबंधन से टिकट की गारंटी पर कभी भी पार्टी छोड़ने के लिए मुस्तैद बैठे हैं।