संजय लीला भंसाली की फिल्म खामोशी: द म्यूजिकल की रिलीज को 25 साल पूरे हो गए हैं। फिल्म में सलमान खान, मनीषा कोइराला, नाना पाटेकर और सीमा बिस्वास लीड रोल में थे। फिल्म के 25 साल पूरे होने डायरेक्टर भंसाली ने बीते दिनों को याद किया।
मुंबई. संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की फिल्म खामोशी: द म्यूजिकल (Khamoshi: The Musica) की रिलीज को 25 साल पूरे हो गए हैं। फिल्म में सलमान खान ( Salman Khan), मनीषा कोइराला (Manisha Koirala), नाना पाटेकर (Nana Patekar) और सीमा बिस्वास (Seema Biswas) लीड रोल में थे। फिल्म 9 अगस्त, 1996 को रिलीज हुई थी। फिल्म के 25 साल पूरे होने डायरेक्टर भंसाली ने बीते दिनों को याद किया। उन्होंने बताया- 9 अगस्त 1996 को सुबह करीब 9 या 10 बजे की बात है, जब मेरे प्रोड्यूसर सिब्ते हसन रिजवी साहब ने मुझे फोन किया और कहा- फिल्म बैठ गई है। मैं इन सबके लिए नया था। मुझे नहीं पता था कि इसका क्या मतलब है। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि शुक्रवार को सुबह नौ बजे फिल्में खुल जाती हैं। इसलिए मेरी बहन बेला (सहगल, फिल्म संपादक), मेरे सिनेमोट्रोग्राफर अनिल मेहता और मैं लिबर्टी सिनेमा में ये देखने गए आखिर क्या हो रहा है।
उन्होंने आगे बताया- जब मैं लिबर्टी सिनेमाघर पहुंचा तो मैं यह देखकर दंग रह गया कि दर्शकों बेचैन है और कुछ हताश होकर सीट तोड़ रहे हैं। उन्होंने एक रील को उल्टा करके दिखाया था। मैं इसे ठीक करने के लिए प्रोजेक्शन रूम में पहुंचा। मेरा सपना एक बुरे सपने में बदल गया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई। मुझे खामोशी: द म्यूजिकल के लिए अच्छे रिव्यू मिले थे। मैं जिससे भी मिला, उसे फिल्म बहुत पसंद आई। लेकिन दर्शकों ने इसे नापसंद किया। मैं बिखर गया था। मुझे लगा कि एक फिल्मकार के तौर पर मेरा सफर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया है। मेरे दिल की धड़कने बंद हो गई।
उन्होंने कहा कि ऑडियंस से मिले रिस्पॉन्स के बाद भी मैंने अपनी उम्मीदों को जिंदा रखा। उन्होंने कहा- इसके लिए मुझे दो लोगों को धन्यवाद देना होगा। मजरूह सुल्तानपुरी साहब और सलमान खान। वे मुझे याद दिलाते रहे कि मैंने कितनी शानदार फिल्म बनाई है। लेकिन मैं सोचता रहा कि अगर खामोशी इतनी शानदार हैं तो दर्शकों ने इसे क्यों ठुकरा दिया? क्या इसलिए कि यह एक डार्क फिल्म थी? कोई आश्चर्य नहीं कि मैंने अपनी अगली फिल्म हम दिल दे चुके सनम को पूरे उत्साह के साथ बनाया। इसमें गुजराती ज्वाइंट फैमिली की दुनिया को दिखाया, जिसे मैं पहले से जानता था, परिवार हंसते थे, गाते-गाते खाते थे और एक साथ पतंग उड़ाते थे।