कभी गोवा के इस मंदिर के पुजारी थे Lata Mangeshkar के दादाजी, यहीं से मिला इन्हें “मंगेशकर” उपनाम

स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का लंबी बीमारी के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आज निधन हो गया। लता जी के निधन पर 2 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए शिवाजी पार्क में रखी जाएगी।

92 साल की लता जी की कोरोना रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके भर्ती होने की खबर भी 2 दिन बाद 10 जनवरी को सामने आई थी। उन्होंने कोरोना और निमोनिया दोनों से 29 दिन तक एकसाथ जंग लड़ी। लताजी (Lata Mangeshkar Death) के निधन की खबर फैलते ही बॉलीवुड में शोक की लहर है। सभी लोग सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें श्रृद्धांजलि दे रहे हैं।

गोवा के इस गांव से था लताजी के खास कनेक्शन
लताजी के पिता दीनानाथ मंगेशकर (Dinanath Mangeshkar) एक प्रसिद्ध मराठी थिएटर अभिनेता, प्रसिद्ध नाट्य संगीत संगीतकार और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतज्ञ एवं गायक थे। इनका जन्म 29 दिसम्बर 1900 को, गोवा में मंगेशी (Mangeshi Village Goa) नामक गांव में हुआ था। दीनानाथ मंगेशकर के पिता, गणेश भट्ट नवाथे  एक कर्हाडे ब्राह्मण थे तथा प्रसिद्ध मंगेशी शिव मंदिर गोवा में पुजारी थे। 

ऐसे सरनेम हुआ मंगेशकर
दीनानाथजी के परिवार का मूल उपनाम "हार्डिकर " था चूँकि इनके परिवार को मंगेशी मंदिर (Mangeshi Temple Goa) के शिवलिंग के लिए अभिषेक का पारंपरिक सौभाग्य प्राप्त हुआ था अतः उन्हें "अभिषेकी" उपनाम से भी जाना जाने लगा था। हालांकि, दीनानाथ ने अपने पिता के परिवार के दोनो उपनामों को नहीं अपनाया। चूंकि वे परिवार सहित गोवा के मंगेशी गांव में रहते थे और वहीं पैदा हुए थे, अतः उन्होंने अपना उपनाम मंगेशकर जिसका अर्थ था "मंगेश द्वारा " अपनाया जो संयोग से, मंगेश देवता, मंगेशी मंदिर के देवता का नाम भी है।

Latest Videos

ये है मंदिर का इतिहास
गोवा में मंगेशी मंदिर एक ऐसी जगह है जो तीर्थ यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक माना जाता है और साथ ही यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आनेवाले लोगों के लिए भी एक पर्यटक आकर्षण है। यह मंदिर मंगेशी गांव में स्थित है और यह राज्य के सबसे धनी और सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है। मंदिर के बारे में भगवान शिव और पार्वती की एक पुरानी कहानी है जिसके कारण इसे इसका नाम मिला। किंवदंती है कि एक बार भगवान शिव ने अपनी प्यारी पत्नी देवी पार्वती को डराने के लिए खुद को बाघ में बदल लिया था और जब देवी पार्वती ने बाघ को देखा, तो वह काफी डर गई और भगवान शिव की खोज में ’त्राहिमाम गिरीशा’ कहते हुए निकल पड़ी, जो समय के साथ मुंगिरिशा या मंगेश तक फैल गई।

ये भी पढ़ें...

लता मंगेशकर स्मृति शेष : पहली कमाई में मिले थे मात्र ₹25, स्टेज परफॉर्मेंस से हुई थी शुरुआत

Lata Mangeshkar का खाना पहले मजरुह सुल्तानपुरी चखते थे, इसके बाद वह खाती थी, जानिए क्यों

घर की आर्थिक स्थिति खराब थी, पर पिता को बिल्कुल पंसद नहीं था लता मंगेशकर फिल्मों में गाना गाएं या काम करें

लता मंगेशकर के निधन की खबर ने 'आंखों में भरा पानी' राजनीति के दिग्गजों ने कुछ इस तरह किया याद

लता मंगेशकर के 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत ने नेहरू ही नहीं मोदी को भी कर दिया था भाव- विभोर, देखें क्या हुआ था
 

Share this article
click me!

Latest Videos

कानूनी प्रक्रिया: अमेरिकी न्याय विभाग से गिरफ्तारी का वारंट, अब अडानी केस में आगे क्या होगा?
Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
'मणिपुर को तबाह करने में मोदी साझेदार' कांग्रेस ने पूछा क्यों फूल रहे पीएम और अमित शाह के हाथ-पांव?
SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश