Exclusive: राजू श्रीवास्तव के दोस्त ने बताया क्यों अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे अमिताभ समेत अन्य सेलेब्स

कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव के निधन के बाद एशियानेट न्यूज हिंदी ने उनके दोस्त और कई प्रोजेक्ट्स में को-स्टार रहे मशहूर कॉमेडियन सुनील पाल से एक्सक्लूसिव बातचीत की। इस बातचीत में सुनील ने बताया कि वो क्या वजह थी जिसके चलते राजू के अंतिम संस्कार में मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जैसे बड़े कलाकार नहीं पहुंच पाए...

'वो अपने दुख-तकलीफों को दिल में ही रखते थे शायद इसलिए उनके दिल ने उनको धोखा दे दिया...'

एंटरटेनमेंट डेस्क. 'मैं राजू भाई से मुंबई में पहली बार अपने स्ट्रगल के दिनों में मिला था। उन्होंने मुझे जहां मिलने बुलाया था मैं तपती गर्मी में उनसे मिलने के लिए वहां एक घंटे पहले ही पहुंच गया था। कुछ खास कपड़े नहीं थे मेरे पास सिर्फ एक कोट था तो झुलसती गर्मी में मैं वहीं पहनकर उनसे मिलने पहुंचा। राजू भाई मारूति 800 में बैठकर आए। उनकी पत्नी साथ में थीं और तब उनकी बेटी बहुत छोटी थी। वो मुझे देखकर खूब हंसे कि इतनी गर्मी में कोट पहनकर क्यों आए हो? तो मैंने उन्हें बताया कि आपसे मिलने आने के लिए मेरे पास यही सबसे बेस्ट ड्रेस थी। फिर मैंने उन्हें कुछ अपने एक्ट करके दिखाए। वो खुश हुए और बोले कि टच में रहना। इतना बोलकर जाते-जाते राजू भाई ने मेरी जेब में 500 रुपए डाले और कहा कि जब तुम थोड़ा नाम कमा लोगे तो तुम भी मुंबई में स्ट्रगल कर रहे लोगों की ऐसे ही मदद करना। इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है। लोगों की हमेशा मदद करनी चाहिए। इसके बाद अपना पता देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आज से मेरे घर को अपना ही घर समझो।' यह कहना है राजू श्रीवास्तव के दोस्त, सह-कलाकार और मशहूर कॉमेडियन सुनील पाल का। सुनील ने इस बातचीत में राजू से जुड़ी कई बातें बताईं। पढ़िए इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में...

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Q. राजू से आपकी दोस्ती कब और कहां से शुरू हुई?
A.
मैं उन्हें 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' शुरू होने के 10 साल पहले से जानता था। वो हमसे काफी सीनियर थे और हम उनको देखकर ही इस फील्ड में आए थे। जब मुंबई पहुंचा तो उनके छोटे भाई दीपू श्रीवास्तव ने मुझे उनसे मिलवाया था। उनसे बातचीत होने लगी तो मैं उन्हें कॉल करता था और वो मुझे अपनी कैसेट रिकॉर्ड में बुला लिया करते थे। मुझे वहां छोटे-मोटे काम करवा लेते थे। कभी शाहरुख खान तो कभी नाना पाटेकर की आवाज निकलवा लेते थे। ऐसा करके दिनभर के मुझे हजार रुपए मिल जाते थे। इस तरह वो हमें यह महसूस नहीं होने देते थे कि हमारे पास काम नहीं है। कई बार हमें उनके शोज में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल जाता था। वो कहते थे कि आओ आकर पहले मेरी परफॉर्मेंस देखो। उनसे जुड़ी यही सब बातें बहुत याद आती है। उन्होंने हमेशा ही मेरी खूब मदद की है।

Q. आप दोनों के ही स्ट्रगल एक जैसे थे तो कभी उस पर चर्चा हुई?
A.
बहुत बार। जब भी हम बैठते थे तो अपने गुजरे दिनों को याद करते थे। महफिल में जब भी हम बैठते थे तो उनकी तीन चीजें जरूर होती थीं। अच्छा खाना, अच्छा गाना और अच्छा हंसना-हंसाना। मैंने कभी उन्हें गम बांटते हुए या दुखी नहीं देखा। वो अपने दुख-तकलीफों को दिल में ही संभालकर रखते थे। शायद इसलिए उनके दिल ने उनको धोखा दे दिया। बाकी एक किस्सा वो अक्सर सुनाते थे कि जब वे मुंबई में नए पहुंचे थे तो उन्होंने एक आर्केस्ट्रा वाले ने को कॉल करके काम मांगा। आर्केस्ट्रा वाले ने उनसे सिर्फ इतना कहा कि ठीक है घाटकोपर आ जाओ और इतने में वो कॉल कट गया। अब राजू भाई के पास न तो पैसे थे दोबारा कॉल करने के और न ही उनके पास हिम्मत थी कि उसे दोबारा कॉल करके पता पूछें। कहीं वो नाराज हो जाता तो काम भी नहीं मिलता ऐसा सोचकर राजू भाई दो दिनों तक घाटकोपर छानकर उस आर्केस्ट्रा वाले तक पहुंचे। वो कहते थे कि यह वो दौर था जब कोई हमसे बस एक बार कह देता था कि काम है तो हम बिना उसे तकलीफ दिए कैसे भी करके उस काम तक पहुंच जाते थे।

Q. 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज-I' में आप शो के विनर रहे थे और राजू सेकंड रनर अप। कभी इसको लेकर उनसे कोई बात हुई? 
A.
जब उन्होंने यह इच्छा जाहिर की कि वो भी इस शो का हिस्सा बनना चाहते हैं तो हम सभी को लगा कि ये इतने बड़े स्टार हैं ये हमारे साथ क्या काम करेंगे तो उन्होंने बोला कि तुम सब नए लड़के अच्छा काम कर रहे हो तो मैं तुम लोगों के साथ रहना चाहता हूं, सीखना चाहता हूं। ये उनका बड़प्पन था कि वो हमसे सीनियर होकर भी हमारे साथ शो किए क्योंकि उनके मन में कभी भी सीनियर-जूनियर वाली बातें होती ही नहीं थीं। अब उस शो में कई चीजें वक्त के हिसाब से हुई। बाकी सभी जानते हैं कि राजू जी के पास न तो कंटेंट की कमी थी और न ही वो दो-ढ़ाई घंटे से पहले रुकते थे। वो उन कलाकारों में से थे जिनको जीत और हार की कोई परवाह नहीं होती थी। बल्कि उनके लिए तो यह गर्व की बात थी कि हम सभी उस शो से फेमस हुए। आफ्टर शो हमने जो पार्टी रखी थी उसमें वो जमकर नाचे थे।

Q. फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में राजू के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा था?
A.
'बॉम्बे टू गोवा' के डायरेक्टर को हम सभी 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' के वक्त से जानते थे तो वो फिल्म तो हमारी दोस्ती यारी में बन गई। सेट पर हमें बस सीन दे दिए जाते थे और हम उसे अपने हिसाब से इंप्रोवाइज करते रहते थे। उसके सेट के भी कई मजेदार किस्से थे। 

Q. राजू से आखिरी मुलाकात कब हुई थी?
A.
मेरी एक फिल्म आने वाली है 'गाली गलौज' उसके लिए राजू जी के पास गया था। उन्हें फिल्म का सब्जेक्ट बहुत पसंद आया था जिसमें यह कहा गया है कि कॉमेडी में गाली गलौज नहीं होनी चाहिए। राजू जी बोले अच्छा कॉन्सेप्ट है और मैं भी इसके खिलाफ हूं। आजकल के जो लड़के कॉमेडी में गालियां लेकर आ रहे हैं, वो ठीक नहीं है। बोले तुम फिल्म की रिलीज डेट तय कर लो फिर अपन एक वीडियो बना लेंगे। इसी बीच वो बीमार पड़ गाए और फिर किसी के भी हाथ नहीं आए।

Q. जब राजू एडमिट थे तो परिवार से क्या बात होती थी?
A.
जब वो एडमिट हुए तो दो-तीन बार मेरी भाभी से बात हुई थी। वो कहती थीं कि सबकुछ ठीक होगा। दुआ करो और एक पर्सेंट भी निगेटिव नहीं सोचना है। पर कभी सोचा नहीं था दिल्ली जाऊंगा तो उनसे मिलने की जगह उन्हें आखिरी बार देखूंगा। आज उनका जाना सिर्फ उनके घर का नहीं बल्कि हर उस घर का दुख है जहां-जहां टीवी है। बाकी उनके घर परिवार की क्या ही बात करूं। कल उनके अंतिम संस्कार में उनके सामने खड़े होकर भी कुछ कह ही नहीं पाया। भाभी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था। अब बस कभी जीवन में राजू भाई के परिवार की सेवा करने का मौका मिलेगा तो खुद को खुशकिस्मत समझूंगा क्योंकि उनके परिवार ने मुझे बहुत कुछ दिया है। 

Q. आपको नहीं लगता कि राजू के अंतिम संस्कार में कई और बॉलीवुड सेलेब्स को शामिल होना चाहिए था?
A.
इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ। हम सभी यही चर्चा कर रहे थे कि कई और लोगों को आना चाहिए था पर ऐसा इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि उनकी अंतिम यात्रा दिल्ली में थी। यह यात्रा या तो उनकी जन्मभूमि कानपुर में होनी चाहिए थी या फिर कर्मभूमि मुंबई में होनी चाहिए थी। यकीनन उनकी अंतिम यात्रा अगर मुंबई में होती तो कई लोग शामिल होते। यह निर्णय उनके परिवार का नहीं बल्कि किसी वरिष्ठ का था जो गलत साबित हुआ। इसके अलावा उन्होंने सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया जिसके चलते कई सेलेब्स वक्त नहीं निकाल पाए। बता दूं कि महानायक अमिताभ बच्चन जी का स्वयं मैसेज आया था उनको कि कहां पहुंचना है ? तो जब परिवार ने रिप्लाय दिया कि दिल्ली में है तो उनके लिए इतना समय मैनेज करना काफी मुश्किल था। इसके अलावा गोविंदा जी और अनुपम खेर साहब ने भी पूछा था कि अंतिम संस्कार कहां है पर जब पता चला कि दिल्ली में है तो वो पहुंच नहीं पाए। वहीं मुझे कपिल शर्मा का कॉल आया वो उस वक्त दुबई में थे। बोले कि मैंने आने की कोशिश भी की तो सुबह तक तो मुंबई ही पहुंचूंगा। तो ऐसा नहीं कि लोग आना नहीं चाहते थे। अगर राजू की अंतिम यात्रा मुंबई में होती तो शायद पूरी इंडस्ट्री उसमें शामिल होती तो मेरे हिसाब से दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार रखना गलत था।

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