जब धर्मेन्द्र के पोते को एक शख्स ने उठाकर पटक दिया, फिर पूछा- तू सचमुच सनी देओल का बेटा है?

करन देओल की डेब्यू फिल्म 'पल पल दिल के पास' में उनकी हीरोइन सहर बम्बा हैं। यह फिल्म 20 सितंबर को रिलीज होगी। 

मुंबई। सनी देओल के बेटे करण देओल की फिल्म 'पल पल दिल के पास' 20 सितंबर को रिलीज हो रही है। सनी देओल खुद इन दिनों बेटे की फिल्म के प्रमोशन में जुटे हुए हैं। बता दें कि करन देओल एक पंजाबी-जाट फैमिली में पैदा हुए हैं, लेकिन एक सुपरस्टार फैमिली में पैदा होने के कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें करण देओल ने एक इंटरव्यू में खुद शेयर किया। 

फेसबुक पेज हयूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक इंटरव्यू में करण ने अपने स्कूल डेज को याद किया। इस दौरान उन्होंने बताया- "जब मैं पहली क्लास में था तो स्कूल में एक स्पोर्ट्स कॉम्पिटीशन हुआ। मैंने भी इस कॉम्पिटीशन में रेस में पार्टिसिपेट किया। मैं अभी रेस के लिए खड़ा ही था, कि कुछ सीनियर्स ने आकर मुझे घेर लिया। थोड़ी देर बाद उनमें से एक ने मुझे उठाया और पटक दिया। इसके बाद उसने मुझसे पूछा कि क्या तू सचमुच सनी देओल का बेटा है? क्योंकि तू तो मुझसे लड़ भी नहीं पा रहा। ये सुनकर मैं काफी शर्मिंदा हुआ था।''

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स्कूल में कई बार उड़ा मेरा मजाक...
करण ने आगे कहा, "स्कूल में या तो बच्चे मुझे जज करते थे या फिर मेरा मजाक उड़ाते। कई बार तो वहां के टीचर्स भी इसमें शामिल होते थे। एक बार जब मैं अपना असाइनमेंट ठीक से नहीं बनाया तो एक टीचर ने मुझसे कहा कि तुम सिर्फ अपने पापा के चेक ही लिख सकते हो और कुछ नहीं कर सकते।"

मां की बातों से मिलती थी हिम्मत...
करण ने कहा, हालांकि मेरे साथ ये सब होने के बावजूद मेरी मां ने मेरा सपोर्ट किया। वो मुझे कहती थीं जो लोग तुमसे ऐसा कह रहे हैं क्या वो एक इंसान के तौर पर ऐसे ही हैं। मां की बातों से मुझे काफी हद तक हिम्मत मिलती थी। मुझे लगता था कि अगर खुद को साबित करना है तो कोई और साथ नहीं देगा।

और ऐसे आया करियर का टर्निंग प्वाइंट...
करण ने कहा, "एक बार मेरे स्कूल में टैलेंट कॉम्पिटीशन हुआ और मैंने भी उसमें पार्टिसिपेट किया। तब मैं रैप अच्छा गाता था। शो के लिए मैंने काफी मेहनत भी की। इसके बाद मैं जब स्टेज पर पहुंचा तो वहां काफी लोग थे। लेकिन मैं घबराया नहीं और परफॉर्मेंस शुरू की। थोड़ी देर बाद ऑडियंस मेरे सपोर्ट में आ चुकी थी। तब मुझे लगा कि लाइफ में चीजें तभी बेहतर होती हैं, जब आप खुद पर यकीन करते हैं। आप एक सांचे में फिट होने के लिए नहीं बने हैं बल्कि अपनी पहचान खुद तलाशनी पड़ती है।

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