केंद्रीय मंत्री ने कहा- लंबे समय से चल रही Air India को बेचने की बात, अब सिर्फ 2 विकल्प बचे हैं..

सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) को बेचे जाने का मामला लंबे समय से चल रहा है। सरकार इसकी 100 फीसदी हिस्सेदारी को बेचना चाहती है, लेकिन अभी तक सौदा फाइनल नहीं हुआ है। बता दें कि साल 2007 में इंडियन एयरलाइन्स (Indian Airlines) का इसमें विलय कर दिया गया। इसके बाद कंपनी लगातार घाटे में जाने लगी।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 27, 2021 12:54 PM IST / Updated: Mar 27 2021, 06:35 PM IST

बिजनेस डेस्क। सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) को बेचे जाने का मामला लंबे समय से चल रहा है। सरकार इसकी 100 फीसदी हिस्सेदारी को बेचना चाहती है, लेकिन अभी तक सौदा फाइनल नहीं हुआ है। बता दें कि साल 2007 में इंडियन एयरलाइन्स (Indian Airlines) का इसमें विलय कर दिया गया। इसके बाद कंपनी लगातार घाटे में जाने लगी। एयर इंडिया पर करीब 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। ऐसे तो कई उद्योगपतियों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन अभी तक इसकी बिक्री की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। इसे लेकर नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Civil Aviation Minister Hardeep Singh Puri) ने कहा है कि या तो इसका 100 फीसदी विनिवेश (Disinvestment) होगा या कंपनी ही बंद होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तीसरा कोई ऑप्शन नहीं रह गया है। 

बोली लगाने कई उद्योगपति आए
पिछले महीने एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई उद्योगपतियों ने बोली लगाने में दिलचस्पी दिखाई थी। इसके लिए बोली लगाई भी गई। सरकार का मानना है कि वह एयर इंडिया का पूरी तरह विनिवेश करेगी, यानी उसमें अपनी हिस्सेदारी नहीं रखेगी। मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पिछले सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि शॉर्टलिस्ट किए गए बोली लगाने वालों को सूचित किया जाएगा कि अगले 64 दिनों के भीतर सौदे को पूरा किया जाना है। इसके लिए सरकार ने फैसला ले लिया है।

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कांग्रेस के नेताओं को बताया भ्रमित
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस के नेताओ को भ्रमित बताया। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने मुंबई और दिल्ली के हवाई अड्डों का निजीकरण करके बेहतर काम किया। बहरहाल, अब सरकार किसी तरह की दुविधा में नहीं है। अब वित्तीय बोलियों के लिए 64 दिन का समय होगा और उसके बाद सिर्फ एयरलाइन को हस्तांतरित करना ही बाकी रहेगा। 

रोज 20 करोड़ रुपए का नुकसान
एयर इंडिया पूरी तरह से सरकार की संपत्ति है। अब सरकार इसमें 100 फीसदी हिस्सा यानी पूरी तरह इसे बेचना चाहती है। बताया जाता है कि कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौरान इसका घाटा और भी बढ़ गया। फिलहाल, इसे रोज 20 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि घाटे से बचने के लिए या तो इसे पूरी तरह बेचना होगा या फिर बंद करना होगा। एयर इंडिया पर कुल कर्ज 60 हजार करोड़ रुपए हो चुका है। 

 
 

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