Antrix-Devas Case: विवाद शुरू होने से लेकर खत्‍म होने तक, यहां जानिए सबकुछ

Antrix-Devas Case: वास्‍तव में यह पूरा मामला 2005 में इसरो की कमर्श‍ियल ब्रांच एंट्रिक्स और बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप देवास मल्टीमीडिया के बीच एक सैटेलाइट डील पर हस्ताक्षर के साथ शुरू हुआ।

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2022 2:53 PM IST

बिजनेस डेस्‍क। मंगलवार को देश की वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देवास इसरो डील पर प्रेस कांफ्रेस की। वास्‍तव में यह पूरा मामला 2005 में इसरो की कमर्श‍ियल ब्रांच एंट्रिक्स और बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप देवास मल्टीमीडिया के बीच एक सैटेलाइट डील पर हस्ताक्षर के साथ शुरू हुआ। विवादित डील को बाद में रद्द कर दिया गया और एंट्रिक्स और देवास के बीच एक दशक पुरानी कानूनी लड़ाई सोमवार (1 जनवरी, 2022) को सुप्रीम कोर्ट में समाप्त हो गई, जिसने स्टार्टअप को बंद करने का आदेश दिया। 17 साल पहले शुरू हुए किस्‍से को फ‍िर से पलटने का प्रयास करते हैं।

कैसे शुरू और कहां खत्‍म हुई पूरी कहानी
जनवरी 2005:
एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन और देवास के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत एंट्रिक्स ने दो सैटेलाइट बनाने, लांच करने और संचालित करने और 90 फीसदी सैटेलाइट ट्रांसपोंडर्स प्राइवेट कंपनी को लीज पर देने की बात थी। डील में 70 मेगाहर्ट्ज एस-बैंड स्पेक्ट्रम (आमतौर पर सुरक्षा बलों और एमटीएनएल और बीएसएनएल जैसी सरकारी दूरसंचार संस्थाओं द्वारा उपयोग के लिए प्रतिबंधित) था, जिसकी कीमत 1,000 करोड़ रुपए थी। एक मीडिया खुलासे में दावा किया गया कि इस सौदे से नेशनल ट्रेजरी को 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो सकता था।

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फरवरी 2011: मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने इस डील को "सुरक्षा कारण" का हवाला देते हुए कैंसल कर दिया। जी माधवन नायर इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष थे।

अगस्त 2016: पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन नायर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर देवास को 578 करोड़ रुपए का "गलत" लाभ दिलाने का आरोप लगाया गया और सीबीआई ने इस मामले में अपने आरोप पत्र दाखिल किए।

सितंबर 2017: इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) ने देवास में विदेशी निवेशकों की अपील पर देवास को 1.3 अरब डॉलर का मुआवजा देने का आदेश दिया।

जून 2019: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCITRAL) न्यायाधिकरण ने पाया कि भारत ने देवास के विदेशी शेयरधारक डॉयचे टेलीकॉम एजी द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता में जर्मनी की द्विपक्षीय निवेश संधि का उल्लंघन किया है।

जनवरी 2020: तीन मॉरीशस-आधारित संस्थाओं CC/Devas (मॉरीशस) लिमिटेड, देवास एम्प्लॉइज मॉरीशस प्राइवेट लिमिटेड और टेलीकॉम देवास मॉरीशस Ld, जिन्होंने देवास में 37.5 फीसदी हिस्सेदारी रखी, ने US कोलंबिया जिला अदालत में UNCITRAL के आदेश की पुष्टि की मांग की।

अक्टूबर 2020: वाशिंगटन के पश्चिमी जिले के अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने आईसीसी के अवॉर्ड की पुष्टि की, जिसमें इसरो की एंट्रिक्स को देवास को 1.2 बिलियन डॉलर का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

नवंबर 2020: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी अदालत के आदेश पर रोक लगा दी और दिल्ली हाई कोर्ट को आदेश को लागू करने के खिलाफ दलीलें सुनने का निर्देश दिया।

जनवरी 2021: कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने एंट्रिक्स को कंपनी अधिनियम के तहत देवास के खिलाफ एक समापन याचिका शुरू करने का निर्देश दिया। एनएलसीटी ने देवास के खिलाफ एंट्रिक्स की याचिका स्वीकार की और प्रोविजनल लिक्‍वि‍डेटर नियुक्त किया।

यह भी पढ़ें:- एक दश‍क पुराने एंट्रि‍क्‍स मामले में वित्‍त मंत्री ने कहा, यूपीए सरकार की नाक नीचे हुआ देश के साथ फ्रॉड

सितंबर 2021: एनसीएलएटी ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने के एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखा।

नवंबर-दिसंबर 2021: दो अलग-अलग आदेशों में, क्यूबेक में एक कनाडाई अदालत ने देवास निवेशकों द्वारा सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद वैश्विक एयरलाइंस निकाय आईएटीए के पास भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) और एयर इंडिया (एआई) से संबंधित असेट्स की जब्ती के लिए अधिकृत किया।

8 जनवरी, 2022: कनाडा की अदालत ने अपने आदेश को रद्द कर दिया और आईएटीए के पास पड़ी एएआई संपत्तियों को फ्रीज करने पर रोक हटा दी। दूसरे आदेश में, अदालत ने अपने फैसले में संशोधन किया और आईएटीए के पास पड़ी एआई संपत्तियों का केवल 50 फीसदी देवास निवेशकों को अधिग्रहण करने की अनुमति दी।

17 जनवरी, 2022: भारत में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के खिलाफ कंपनी की अपील को खारिज करके देवास को बंद करने के एनसीएलएटी के फैसले को बरकरार रखा।

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