मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए GDP पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के latest estimate का हवाला देते हुए CRISIL ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में घरेलू खपत इससे पिछले वित्त वर्ष के स्तर से 3 फीसदी कम है। यह कोरोना महामारी के बाद से जीडीपी के expense side पर सबसे बुरी स्थिति है।
बिजनेस डेस्क । भारत में financial year 2020-21 के दौरान घरेलू खपत (domestic consumption) में कमी दर्ज की गई है। सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) में घरेलू खपत का 55 फीसदी हिस्सा होता है, इस वित्तीय वर्ष (2021) में यह 10.1 प्रतिशत तक कम हो गया है। इन तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए एक रिपोर्ट में बजट 2022-23 में कुछ उपायों की आश्यकता बताई गई है। बजट रिपोर्ट में soft fiscal policy अपनाने पर जोर देते हुए निकट भविष्य में रोजगार और इनकम बढ़ाने के उपायों पर काम करने की सलाह दी गई है।
CRISIL ने जारी की रिपोर्ट
मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए GDP पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के latest estimate का हवाला देते हुए CRISIL ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में घरेलू खपत इससे पिछले वित्त वर्ष के स्तर से 3 फीसदी कम है। यह कोरोना महामारी के बाद से जीडीपी के expense side पर सबसे बुरी स्थिति है।
खपत में आई कमी
रिपोर्ट में खपत चक्र (consumption cycle) को बजट में अधिक महत्व दिए जाने की जरूरत बताते हुए कहा गया है कि कोविड से पहले भी निजी खपत धीमी थी। प्रति व्यक्ति आधार पर खपत वृद्धि वित्त वर्ष 2017 में 6.8 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 4.4 प्रतिशत हो गई और वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसमें 10.1 प्रतिशत की कमी आई है, जो बेहद चिंताजनक है।
मुख्य अर्थशास्त्री ने की मांग
CRISIL के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी (Chief Economist DK Joshi) ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि आगामी बजट में Employment Generation and Income-Supporting Measures के प्रावधान करके इसमें जारी गिरावट को रोकने के लिए कुछ विशेष उपायों का ऐलान किया जाए।
CRISIL की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सरकार राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को 3 फीसदी पर लाने के टारेगट को स्थगित करके वित्तीय वर्ष 2022-26 में एक्सट्रा 35 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय स्थान बना सकती है।
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