कनाडा की ई-कॉमर्स कंपनी शॉपिफाई ने अपने यहां मीटिंग कल्चर को खत्म करते हुए कुछ नए और सख्त नियम निकाले हैं। कंपनी ने लीडर्स से कहा है कि अब हफ्ते में केवल एक मीटिंग होगी, वो भी गुरुवार को।
बिजनेस डेस्क। कंपनियां अब मीटिंग्स और खासकर बड़ी मीटिंग्स कल्चर से दूर हो रही हैं। हाल ही में कनाडा की ई-कॉमर्स कंपनी शॉपिफाई ने अपने कर्मचारियों को मीटिंग से दूर रहने को कहा है। बता दें कि शॉपिफाई इंक ने पिछले साल कॉस्ट कटिंग की थी और अब कंपनी ने बैठकों में यानी मीटिंग्स में कटौती को लेकर फरमान जारी किया है।
जैसे ही कर्मचारी छुट्टी के ब्रेक से लौटे, कनाडा की इस ई-कॉमर्स फर्म ने कर्मचारियों को बताया कि वह कैलेंडर पर्ज कर रही है और सभी रेकरिंग मीटिंग प्रॉसेस, जिसमें दो से अधिक लोग शामिल होते हैं, को खत्म कर रही है। कंपनी ने नियम दोहराते हुए स्पष्ट किया कि अब कोई बैठक नहीं की जा सकती है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि गुरुवार को ही 50 से अधिक लोगों की बैठक आयोजित होगी और यह विंडो में की जाएगी। ऐसा हफ्ते में एक बार ही होगा।
चैट ग्रुप से भी खुद को अलग कर लें कर्मचारी
कंपनी ने कहा कि कंपनी लीडर्स से अन्य कर्मचारियों को बैठकों का अस्वीकार करने और बड़े चैट ग्रुप से खुद को दूर रहने को भी कह दिया गया है। कंपनी के सह-संस्थापक और चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर टोबी लुटके ने एक बयान में कहा कि फाउंडर्स जो सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं, वह मीटिंग्स में कमी है। चीजों को हटाने की तुलना में चीजों को जोड़ना बहुत आसान है। अगर आप किसी चीज के लिए हां कहते हैं, तो आप उन सभी चीजों को ना भी कहते हैं, जो आप उस समय के साथ कर सकते थे। बड़ी, लंबी और बेनतीजा बैठकें आज के हाईब्रिड वर्क प्लेस के लिए संकट बन गई हैं। इससे कंपनियों को कोशिश करने और उन्हें कम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
दूसरी कई कंपनियों ने भी मीटिंग कल्चर को किया खत्म
फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक, घरेलू उत्पाद निर्माता कंपनी क्लोरॉक्स और टेक फर्म ट्विलियो इंक कुछ उन समूहों में शामिल है, जिन्होंने बीते कुछ महीनों में नो-मीटिंग डेज की स्थापना की है। पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सामने आया था कि कर्मचारी हफ्ते में औसतन लगभग 18 घंटे बैठकों में बीताते हैं। वे केवल 14 प्रतिशत इन्विटेशन को ना बोलते हैं, जबकि उनमें ससे 31 प्रतिशत मीटिंग्स को वापस लेना पसंद करते हैं। सर्वे रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मन नहीं होने के बावजूद गैर-महत्वपूर्ण बैठकों में जाने से कंपनियों को हर साल लगभग सौ मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है।
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