कोरोना काल में आम कर्मचारियों से 130 गुना बढ़ी CEO लेवल के इंप्लॉई की सैलरी, जानें डिटेल

कोरोना काल में कंपनी के सीईओ की सैलरी में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल में कंपनी के सीईओ लेवल के कर्मचारियों की सैलरी तो बढ़ी है लेकिन मिड लेवल के कर्मचारियों की सैलरी घटी है। 

नई दिल्लीः पिछले दो सालों में या यूं कहें कोरोना काल (Corona) में कई लोगों ने नौकरियां गंवाई। लेकिन भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में काम करने वाले बड़े अधिकारियों की कमाई में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। देश की टॉप कंपनियों में CEO और मैनेजर की सैलरी में वृद्धि हुई है। मध्य स्तर के कर्मचारियों की सैलरी घटी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के शीर्ष एग्जीक्यूटिव की औसत सैलरी में कोरोना महामारी के पहले दो सालों में 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। सीईओ (CEO) की औसत सैलरी वित्त वर्ष 2019 में 11.51 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 यानी कोविड-19 महामारी की पहली लहर में 11.81 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। 

मिड लेवल कर्मचारियों की सैलरी 0.5 फीसदी घटी
शीर्ष कंपनियों में सामान्य और मिड लेवल कर्मचारी ने वित्त वर्ष 2021 में 6.4 लाख रुपये कमाए, जो कि वित्त वर्ष 2019 में 6.44 लाख रुपये से कम था। नतीजतन महामारी के दौरान कॉर्पोरेट क्षेत्र में आय असमानता बढ़ गई। यह कॉर्पोरेट क्षेत्र में CEO की सैलरी और औसत कर्मचारी की सैलरी में बढ़ते अंतर को दर्शाता है। मिड लेवल के कर्मचारियों की सैलरी महामारी के पहले के स्तर से 0.5 फीसदी गिर गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार सीईओ लेवल के कर्मचारियों को आम कर्मचारियों के मुताबिक 130 गुना ज्यादा सैलरी मिली। 

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76 कंपनियों के सैंपल पर बना है रिपोर्ट
विश्लेषण निफ्टी 100 इंडेक्स से 76 कंपनियों के सैंपल पर आधारित है। रिपोर्ट में बताया गया है कि शीर्ष मैनेजमेंट और आम कर्मचारियों के बीच कमाई का अंतर ज्यादा है। उस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-21 में सीईओ का कंपनसेशन 80.84 करोड़ रुपये था। जबकि, मध्य स्तर के कर्मचारी की सैलरी 4.5 लाख रुपये है। दूसरी तरफ, कोल इंडिया में आय की असमानता सबसे कम है। इसमें सीईओ की सैलरी वित्त वर्ष 2021 में 63.82 लाख रुपये थी, जबकि, मिड लेवल कर्मचारी की सैलरी 17.14 लाख रुपये थी। 

फार्मा कंपनियों में सबसे ज्यादा अंतर
जानकारी दें कि शीर्ष एग्जीक्यूटिव की सैलरी और मिड लेवल कर्मचारी की सैलरी में सबसे ज्यादा अंतर फार्मा कंपनियों में रहा है. इसके बाद ऑटोमैटिव और टेलीकॉम सेक्टर आता है। बैंकिंग सेक्टर में आय की सबसे कम असमानता है। इस सेक्टर की वित्त वर्ष 2020-21 में सीईओ की औसत सैलरी 5.51 करोड़ रुपये और मिड लेवल के कर्मचारी की सैलरी 6.1 लाख रुपये है। इसके अलावा आपको बता दें कि इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख की सैलरी में कंपनी ने 88 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। सैलरी में 88 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद सलिल पारेख की सालाना सैलरी 42 करोड़ से बढ़कर 79.75 करोड़ रुपये हो गई है। सॉफ्टवेयर कंपनी ने सीईओ की सैलरी में की गई जबरदस्त बढ़ोतरी को सही ठहराते हुए कहा कि इंफोसिस ने सलिल के नेतृत्व में शानदार ग्रोथ की है। 

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