कोरोना वायरस : पोत परिवहन कंपनियों से सरकार ने कहा- कंटेनर फंसे होने पर किसी प्रकार का चार्ज नहीं लिया जाए

बंदरगाहों पर समुचित आपूर्ति लाइन बनाये रखने तथा माल ढुलाई (कार्गो) बाधाओं को दूर करने के इरादे से यह निर्देश दिया गया है। पोत परिवहन कंपनियों से 14 अप्रैल तक आयात और निर्यात माल के कारण कंटेनर फंसे होने को लेकर किसी प्रकार का शुल्क लेने से मना किया है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 29, 2020 1:07 PM IST

नई दिल्ली. सरकार ने रविवार को सभी पोत परिवहन कंपनियों से कहा कि वे कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मौजूदा स्थितियों को देखते हुए निर्यात-आयात माल के कंटेनर में फंसे होने को लेकर किसी प्रकार का शुल्क या अतिरिक्त राशि नहीं वसूलें।

लॉकडाउन के कारण बंदरगाहों से वस्तुओं को निकलने में देरी हो रही है

Latest Videos

बंदरगाहों पर समुचित आपूर्ति लाइन बनाये रखने तथा माल ढुलाई (कार्गो) बाधाओं को दूर करने के इरादे से यह निर्देश दिया गया है। पोत परिवहन कंपनियों से 14 अप्रैल तक आयात और निर्यात माल के कारण कंटेनर फंसे होने को लेकर किसी प्रकार का शुल्क लेने से मना किया है। मौजूदा ‘लॉकडाउन’ के कारण बंदरगाहों से वस्तुओं के निकालने में हो रही देरी को देखते हुए यह निर्णय किया गया।

14 अपैल तक माल निकासी में नहीं लगेगा कोई शुल्क

पोत परिवहन महानिदेशालय के परामर्श के अनुसार, ‘‘भारतीय समुद्री बंदरगाहों पर समुचित आपूर्ति लाइन बनाये रखने के लिये पोत परिवहन कंपनियों को 22 मार्च से 14 अप्रैल 2020 तक माल की निकासी नहीं होने के कारण कंटेनर फंसे होने को लेकर कोई शुल्क लेने से मना किया है। ’’

इस अवधि के दौरान उनसे कोई नया या अतिरिक्त शुल्क लेने से भी मना किया गया है। परामर्श में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामरी के कारण उत्पन्न बाधा को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

Share this article
click me!

Latest Videos

तीसरा महापावर बना भारत, चौड़ा हो गया 140 करोड़ भारतीयों का सीना!
हॉस्टल में बलिः स्कूल को चमकाने के लिए 3 टीचरों ने छीना एक मां का लाल
जन्म-जयंती पर शत-शत नमनः भगत सिंह को लेकर PM मोदी ने क्या कुछ कहा...
'जीजा ये पकड़ 60 हजार... नहीं बचना चाहिए मेरा पति' पत्नी ने क्यों दी पति की सुपारी, खौफनाक है सच
एक थी महालक्ष्मी! फ्रिज से शुरू हुई कहानी पेड़ पर जाकर हुई खत्म, कागज के पर्चे में मिला 'कबूलनामा'