जिस समय क्रिप्टोकरेंसी की चोरी हुई थी तब उसकी कीमत करीब 30.6 लाख रुपए थी। जो मौजूदा समय में ढाई करोड़ रुपए बताई जा रही है। मामले की तकनीकी जांच के लिए विशेष प्रकोष्ठ को सौंप दिया गया था।
बिजनेस डेस्क। वर्ष 2019 में दिल्ली के बिजनेसमैन के डिजिटल वॉलेट से चोरी हुए क्रिपटोकरेंसी केस में बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली पुलिस की एजेंसी की ओर से की जा रही जांच में फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का नाम सामने आया है। यह जांच बीते पांच महीने चल रही थी। इस कनेक्शन के सामने आने से दिल्ली पुलिस भी टेंशन में आ गई है। जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की ओर से देश और विदेश में संबंधित अधिकारियों को घटनाक्रम से अवगत कराने की संभावना है। आइए आपको भी बताते हैं इस पूरे मामले में किस तरह की रिपोर्ट सामने आई है और आखिर पूरा मामला है क्या।
रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस विंग के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने एक कॉन्फिडेंशियल जांच रिपोर्ट तैयार की है। जिसके अनुसार दिल्ली के बिजनसमैन की क्रिप्टोकरंसी चोरी के मामले में हमास कनेक्शन सामने आया है। बिजनसमैन के प्राइवेट वॉलेट से चोरी हुए क्रिप्टोकरंसी के हमास की सैन्य शाखा अल-क़सम ब्रिगेड की ओर से यूज की बात सामने आई है। हमास की यह सैन्य शाखा आतंकवाद को फाइनेंस करने के लिए चोरी और डोनेट की गई क्रिप्टोकरंसी का यूज करती है।
करेंसी कहां हुई थी ट्रांसफर
- आईएफएसओ की रिपोर्ट के अनुसार चुराई क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर की गई थी।
- जो वॉलेट जब्त किया गया वो मोहम्मद नसीर इब्राहिम अब्दुल्ला का था।
- अन्य वॉलेट मिस्र में गीज़ा से ऑपरेट किया जा रहा था, जो अहमद मरज़ूक का था।
- एक अन्य वॉलेट, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी को ट्रांसफर किया गया था, फिलिस्तीन के रामल्लाह के अहमद क्यूएच सफी का था।
- चुराई गई कुछ करंसी यूके स्थित गैंबलिंग साइट और एक चाइल्ड पोर्नोग्राफी साइट पर ट्रांसफर किया गया था।
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करीब तीन साल पहले हुई थी चोरी
वर्ष 2019 में दिल्ली के पश्चिम विहार के कारोबारी ने अपने वॉलेट से क्रिप्टोकरंसी गायब होने का केस दर्ज कराया था। पीड़ित के पास अपने Oppo F17 मोबाइल डिवाइस पर 6.2 बिटकॉइन, 9.79 इथेरियम, 2.44 बिटकॉइन कैश ब्लॉकचैन मोबाइल वॉलेट है। उस समय उस करेंसी की कीमत करीब 30.6 लाख रुपए थी। जिसकी वैल्यू मौजूदा समय में ढाई करोड़ रुपए बताई जा रही है। मामले की तकनीकी जांच के लिए विशेष प्रकोष्ठ को सौंप दिया गया था। मल्होत्रा ने इसके बाद एसीपी रमन लांबा, एसआई नीरज और अन्य को शामिल करते हुए एक विशेष टीम का गठन किया।