सालाना आधार पर जीरे के दाम में 72 फीसदी का इजाफा हो चुका है और कीमतें नए रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं। जानकारों की मानें तो किसानों ने दूसरी फसलों पर ध्यान लगाया हुआ है, जिसकी वजह से जीरे का उत्पादन कम हुआ है।
बिजनेस डेस्क। आम लोगों की रसोई के बजट को घरेलू गैस सिलेंडर और सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने पहले ही बिगाड़ा हुआ है। अब उसे और ज्यादा अस्थिर करने के लिए मसालों का योगदान आना शुरू हो गया है। जी हां, सालाना आधार पर जीरे के दाम में 72 फीसदी का इजाफा हो चुका है और कीमतें नए रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं। जानकारों की मानें तो किसानों ने दूसरी फसलों पर ध्यान लगाया हुआ है, जिसकी वजह से जीरे का उत्पादन कम हुआ है, जिसकी वजह से कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है। जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में इसमें और ज्यादा इजाफा देखने को मिल सकता है। व्यापारियों ने कहा कि भारत में कम उपज ग्लोबल प्राइस को प्रभावित करेगी क्योंकि देश दुनिया में जीरे का सबसे बड़ा उत्पादक है।
कितना हुआ जीरे में इजाफा
गुजरात की उंझा मंडी में अप्रैल में जिंस की कीमतें 215 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक हो गईं। कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) उंझा के उपाध्यक्ष अरविंद पटेल ने इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा कि जीरे की कीमतें इस साल अपने उच्चतम स्तर पर हैं। क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंडी में कीमतें मार्च और अप्रैल (1-23) में सालाना आधार पर क्रमश: 47 फीसदी और 72 फीसदी बढ़ीं। उंझा मंडी में कीमतें मार्च के 180 रुपए प्रति किलो से बढ़कर इस महीने करीब 215 रुपए प्रति किलो हो गई हैं। पिछले साल जीरा की कीमत 120-125 रुपये प्रति किलो थी।
क्यों कम हुआ प्रोडक्शन
गुजरात में उंझा मंडी, जो भारत के जीरे की आवक का 40 फीसदी हिस्सा है, मार्च 2022 में आवक में 60 फीसदी की गिरावट देखी गई। जबकि अप्रैल (1-23) के लिए आगमन में 38 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। 2022 में कुल जीरा उत्पादन सालाना आधार पर लगभग 35 फीसदी घटकर 558 मिलियन टन होने का अनुमान है। कम उपज और खेती के तहत कम रकबा का मुख्य कारण यह है कि जीरा की बुवाई की अवधि (अक्टूबर-दिसंबर 2021) के दौरान किसानों ने चना और सरसों की ओर रुख किया, जिनकी कीमत जीरे से अधिक थी।
दुनिया का 70 फीसदी जीर उत्पादन भारत में
गुजरात में द्वारका, बनासकांठा और कच्छ और राजस्थान के जोधपुर और नागौर के प्रमुख जीरा क्षेत्रों में अधिक वर्षा ने विल्ट हमले की संभावना को बढ़ा दिया, जिससे किसानों को फसल बोने से रोका जा सके। भारत दुनिया के जीरा उत्पादन का 70 फीसदी हिस्सा है और सबसे बड़ा निर्यातक भी है, जो अपने उत्पादन का 30-35 फीसदी निर्यात करता है।