रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में 26 अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा है
सूरत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में 26 अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा हथियारों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है। ऐसे में हमें देश में उत्पादन बढ़ाना है।
सिंह ने 51वें के-9 वज्र-टी तोप को शामिल करते हुए कहा कि सरकार ने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये निजी क्षेत्र को समर्थन देने को कई कदम उठाये हैं। इस तोप का लोकार्पण गुजरात के हजीरा में लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) के आर्मर्ड सिस्टम काम्प्लेक्स में किया गया।
इससे 20 से 30 लाख रोजगार
उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ''भारत हथियारों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता। हमने रक्षा उत्पादन में 2025 तक 26 अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 10 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इससे 20 से 30 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे।''
सिंह ने कहा कि पूर्व में रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बहुत कम थी। रक्षा मंत्री ने कहा, ''समर्थन के अभाव में निजी क्षेत्र अपनी भूमिका नहीं निभा पाया। इसके कारण आयात पर निर्भरता बढ़ी है।''
उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार ने इस परिदृश्य को बदलने के लिये कई कदम उठाये हैं ताकि भारत न केवल आत्मनिर्भर हो बल्कि क्षेत्र में शुद्ध रूप से निर्यातक भी बने।'' सिंह ने देश में रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये मोदी सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों का जिक्र किया।
निजी क्षेत्र में अब इससे जुड़ रहा है
उन्होंने कहा, ''हमने रक्षा ऑफसेट नीति को दुरुस्त किया है और हम इसमें और सुधार करेंगे। हमने क्षेत्र में निवेश संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिये रक्षा मंत्रालय में रक्षा निवेश प्रकोष्ठ बनाया है।'' एलएंडटी के हजीरा संयंत्र में होवित्जर तोप के विनिर्माण का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा, ''रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में एक नया आयाम उभरा है। निजी क्षेत्र में अब इससे जुड़ रहा है।''
हालांकि मंत्री ने कहा कि भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने को लेकर काफी कुछ किये जाने की जरूरत है और सरकार हर बाधा को दूर करने की कोशिश करेगी। इससे पहले, सिंह ने तोप की पूजा की और उस पर स्वास्तिक लगाया।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)