खराब हालत में है अर्थव्यवस्था, ''टैक्स टेररिज्म'' पर लगायी जानी चाहिए लगाम: सुब्रमण्यम स्वामी

Published : Jan 11, 2020, 01:02 PM IST
खराब हालत में है अर्थव्यवस्था, ''टैक्स टेररिज्म'' पर लगायी जानी चाहिए लगाम: सुब्रमण्यम स्वामी

सार

भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ''काफी खराब स्थिति'' में है और निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए ''कर आतंकवाद'' पर लगाम लगायी जानी चाहिए

अहमदाबाद: भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ''काफी खराब स्थिति'' में है और निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए ''कर आतंकवाद'' पर लगाम लगायी जानी चाहिए। स्वामी ने यह भी कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय परिसर में पुलिसकर्मी होने चाहिए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को ''दो वर्ष के लिए बंद'' कर दिया जाना चाहिए जो हिंसा की हाल की घटना को लेकर खबरों में है।

स्वामी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब है। सब कुछ नीचे की ओर जा रहा है, यदि ऐसा ही जारी रहा तो बैंकों का कामकाज बंद हो जाएगा, एनबीएफसी बंद हो जाएगा और इसके काफी खराब परिणाम होंगे।''

हमारे पास अच्छी आपूर्ति

स्वामी यहां एक कार्यक्रम के इतर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ''जो उपाय किए जा सकते हैं उनमें... पहले आयकर को समाप्त करने की जरूरत है। हमारे देश में कर आतंकवाद पर लगाम लगाने की जरूरत है ताकि लोग निवेश शुरू करें और 'टैक्समैन' से डरें नहीं।''

उन्होंने कहा, ''वर्तमान में हम जिस समस्या का सामना कर रहे हैं, वह है मांग की कमी, हमारे पास अच्छी आपूर्ति है। इसलिए सरकार को नोट छापने और इसे लोगों के हाथों में देने की जरूरत है, जिससे कि मांग बढ़े।''

दिल्ली स्थित जेएनयू में हाल ही में हुई हिंसा के बारे में पूछे जाने पर, स्वामी ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय परिसर में अमेरिका की तरह पुलिस की उपस्थिति होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ''जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों में केवल पुलिस ही नहीं बल्कि सीआरपीएफ और बीएसएफ भी होनी चाहिए।''विवादास्पद बयान देने के लिए जाने जाने वाले स्वामी ने कहा जेएनयू को दो वर्ष के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए और उसके ''अच्छे छात्रों'' को दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)
 

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