चाइनीज फोन निर्माता कंपनी VIVO के 44 ठिकानों पर ED का छापा, यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में चल रही है कार्रवाई

चाइनीज कंपनी वीवो के खिलाफ ED कार्रवाई कर रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग के केस में एक साथ 44 जगहों पर छापेमारी चल रही है। यूपी, बिहार, एमपी और दक्षिण भारत में छापेमारी हो रही है। 

Moin Azad | Published : Jul 5, 2022 7:18 AM IST / Updated: Jul 05 2022, 01:44 PM IST

बिजनेस डेस्कः फोन बनाने वाली चाइनीज कंपनी Vivo के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) कार्रवाई (ED Inquiry on Vivo) कर रहा है। यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में 44 जगहों पर ईडी छापेमारी कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी मोबाइल फोन निर्माता वीवो और उससे संबंधित कंपनियों और सहायक कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। ED ने एक शिकायत पर मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला दर्ज किया है। सीबीआई इस मामले में पहले से ही जांच कर रही है। 

 

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शाओमी पर भी हुई थी कार्रवाई
इससे पहले ईडी ने मोबाइल कंपनी शाओमी (Xiaomi) पर भी कार्रवाई की थी। कंपनी ने शाओमी की 5,551 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी। चीन की स्मार्टफोन मेकर कंपनियों पर रॉयल्टी के नाम पर देश से बाहर पैसा भेजने और टैक्स चोरी करने का आरोप है। इसके मद्देनजर कई बार शिकायत भी की गई थी। जिससे सरकार ने चीन की कंपनियों के खिलाफ जांच तेज कर दी है। इसी सिलसिले में वीवो के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई है। 

फोन मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा
भारत के मोबाइल फोन मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा है। इनमें शाओमी (Xiaomi), ओप्पो (Oppo) और वीवो (Vivo) शामिल हैं। भारत में इन कंपनियों की अच्छी कमाई हो रही है लेकिन टये कंपनियां टैक्स नहीं देती हैं। सरकार ने इसको लेकर एक बड़ी जांच शुरू की थी। यह जांच कई एजेंसियां कर रही हैं। इन कंपनियों पर पिछले कुछ वर्षों के दौरान रेगुलेटरी फाइलिंग और दूसरी तरह की रिपोर्टिंग में अनियमितता बरतने का आरोप है। साथ ही कंपनी के बिजनेस पर भी सरकार की नजर है। 

कंपनियों पर इनकम टैक्स छुपाने का आरोप
चीनी मोबाइल कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने इनकम की जानकारी छुपा कर रखी है। टैक्स ना देना पड़े इसके लिए प्रॉफिट की जानकारी नहीं दी। भारतीय बाजार की कंपनियों के बाजार को खत्म करने के लिए अपने दबदबे का इस्तेमाल किया। इन कंपनियों पर कंपोनेंट्स लेने और प्रोडक्ट्स के डिस्ट्रिब्यूशन में पारदर्शिता नहीं बरतने का भी आरोप है। चीनी कंपनियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की फाइलिंग में घाटा दिखाया है। जबकि कंपनी की इस दौरान कापी अच्छी बिक्री रही है।

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