कैश फ्लो घटने से संकट; नई ब्याज दर देने में EPFO सक्षम नहीं, 6 करोड़ खाताधारकों को लग सकता है झटका

कम रिटर्न और कैश फ्लो घटने की वजह से वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। करीब 6 करोड़ खाताधारकों पर इसका असर पड़ने की आशंका है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 26, 2020 11:23 AM IST / Updated: Jun 26 2020, 05:02 PM IST

बिजनेस डेस्क। भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) निवेश पर कम रिटर्न और कैश फ्लो घटने का असर करीब 6 करोड़ खाताधारकों पर पड़ सकता है। पहले ईपीएफओ ने अनुमानित कमाई के आधार पर 8.5 फीसदी ब्याज दर की घोषणा की थी। मगर अब इसके घटने के आसार नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कम रिटर्न और कैश फ्लो घटने की वजह से वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। 

इकनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पूर्व घोषित ब्याज दरों पर कोई फैसला लेने के लिए जल्द ही ईपीएफओ का फाइनेंस, निवेश विभाग और ऑडिट कमेटी मीटिंग करने वाला है। इसी मीटिंग में वित्त वर्ष के लिए पूर्व घोषित ब्याज दर की समीक्षा की जाएगी। मौजूदा हालात के मद्देनजर ईपीएफओ अब यह देखेगा कि वह खाताधारकों को कितना ब्याज देने में सक्षम है। 

नई दरों को अभी नहीं मिली है मंजूरी 
केंद्र सरकार ने इस साल लॉकडाउन से पहले मार्च की शुरुआत में 8.5 फीसदी ब्याज दर की घोषणा की थी। हालांकि नई दरों को अभी तक वित्त मंत्रालय की मंजूरी नहीं मिली है। वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही श्रम मंत्रालय नई दरों को नोटिफाई करता है। 

ईपीएफओ को ब्याज देने में मुश्किल 
ईटी ने सोर्स के हवाले से लिखा कि घोषित ब्याज दरों के आधार पर खाताधारकों को ब्याज देने में ईपीएफओ को मुश्किल होगी। क्योंकि कैश फ्लो काफी कम हुआ है। इससे पहले सरकार ने कोरोना महामारी के बाद कई घोषणाएं की थी। तीन महीने के लिए कर्मचारियों और नियोक्ताओं के मूल वेतन को 12% से घटाकर 10% कर दिया गया था। 

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