पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम दिन 31 दिसंबर, 2021 थी। कोविड -19 महामारी के कारण, देर से रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख को पहले 15 फरवरी और फिर 31 मार्च को संशोधित किया गया था। यदि आप 31 दिसंबर की समय सीमा से चूक गए हैं तो उसे अघोषित आय के लिए कारण बताओ नोटिस मिल सकता है।
बिजनेस डेस्क। 2020-21 (आकलन वर्ष 2021-22) के लिए लेट आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की समय सीमा 31 मार्च है। पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम दिन 31 दिसंबर, 2021 थी। कोविड -19 महामारी के कारण, देर से रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख को पहले 15 फरवरी और फिर 31 मार्च को संशोधित किया गया था। यदि आप 31 दिसंबर की समय सीमा से चूक गए हैं तो उसे अघोषित आय के लिए कारण बताओ नोटिस मिल सकता है। इसके अलावा टैक्सपेयर को 50 से 200 फीसदी तक जुर्माना और 3 से 7 साल तक की सजा मिल सकती है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर 31 मार्च से पहले अगर आप आईटीआर फाइल नहीं करते हैं तो आपको काफी नुकसान हो सकता है।
कितना लग सकता है जुर्माना
जानकारों की मानें तो लास्ट डेट तक आईटीआर फाइल ना करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स और ब्याज के अलावा टैक्सपेयर्सके वास्तविक इनकम टैक्स एक्सपेंसिस पर 50 फीसदी से 200 फीसदी का जुर्माना लगा सकता है। जब तक कोई करदाता विभाग से आयकर नोटिस के जवाब में अपना आईटीआर दाखिल नहीं करता है तो भारत सरकार के पास टैक्सपेयर के खिलाफ मुकदमा चलाने की भी पॉवर है।
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कितने साल की हो सकती है सजा
आयकर नियमों के अनुसार मौजूदा इनकम टैक्स रूल्स में न्यूनतम 3 साल की कैद और अधिकतम 7 साल की कैद की सजा हो सकती है। ऐसा नहीं है कि विभाग अभियोजन शुरू कर सकता है। आईटीआर फाइल करने में विफलता के प्रत्येक उदाहरण में आपके खिलाफ आय विभाग केवल तभी मुकदमा चला सकता है जब कर की राशि 10,000 रुपए से ज्यादा होगी।
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जानिए कितना होता है लेट फाइन
- यदि कोई करदाता 31 दिसंबर 2021 की नियत तारीख तक आईटीआर दाखिल करने से चूक गया है, तो वह अभी भी 31 मार्च 2022 की आईटीआर की अंतिम तिथि तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता है।
- करदाता को आईटीआर फाइलिंग के समय 5,000 रुपए विलंब शुल्क का भुगतान करना होगा यदि उसकी टैक्सेबल एअनुअल इनकम 5 लाख से अधिक है।
- यदि किसी की टैक्सेबल एअनुअल इनकम 5 लाख से कम है, तो उस स्थिति में विलंब शुल्क 1,000 रुपए हो जाएगा।
- वे अंतिम तिथि तक आईटीआर दाखिल करें और वास्तविक आयकर व्यय पर 50 से 200 फीसदी जुर्माना या 3 से 7 साल तक की सजा से बचें।